Wednesday, March 12, 2025

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ट्रंप के गाजा प्लान से US के प्रमुख सहयोगी नाराज

मिस्र ने रविवार को घोषणा की कि वह 27 फरवरी को एक आपातकालीन अरब शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। यह सम्मेलन गाजा पट्टी से फलस्तीनियों का पुनर्वास करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव के बाद हो रहे घटनाक्रमों पर चर्चा करने के लिए आयोजित किया जाएगा। पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस में इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ ट्रंप ने बैठक की की। इस दौरान ट्रंप ने गाजा के 18 लाख फलस्तीनियों का पुनर्वास करने और गाजा पट्टी को अमेरिका के नियंत्रण में रखने का प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव ने अरब देशों को आक्रोश में डाल दिया, जिनमें मिस्र, जॉर्डन और सऊदी अरब शामिल हैं। ये तीनों देश अमेरिका के प्रमुख सहयोगी भी हैं। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्तह अल-सीसी और जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय ने ट्रंप के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। हालांकि, ट्रंप का दावा है कि अरब देश आखिरकार उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे। मिस्र के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि काहिरा में आयोजित होने वाले इस शिखर सम्मेलन में अरब देशों के बीच शीर्ष स्तर पर हुई बातचीत पर चर्चा की जाएगी। फलस्तीन ने भी इस शिखर सम्मेलन के आयोजन की अपील की थी ताकि फलस्तीन की स्थिति और इस नए प्रस्ताव से पैदा होने वाले खतरों पर विचार किया जा सके।

इ्स्राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान ट्रंप ने कहा था, हम गाजा का स्वामित्व लेना चाहते हैं। इसके बाद गाजा में मौजूद खतरनाक बमों और अन्य हथियारों को नष्ट करने की जिम्मेदारी हमारी होगी। अमेरिका ध्वस्त या जर्जर हो चुकी इमारतों का पुनर्निर्माण कराएगा और गाजा का आर्थिक विकास करेगा। इससे गाजा में रोजगार और लोगों को घर मिलेंगे। ट्रंप ने कहा था कि  गाजा के पुनर्निर्माण में अगर अमेरिकी सेना की जरूरत पड़ी तो वे सेना को भी गाजा में तैनात करने पर विचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह जरूरी हुआ तो हम ऐसा करेंगे।

वहीं, इस्राइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भी ट्रंप की इस योजना का समर्थन किया था और इसे पर खुशी जाहिर की थी। नेतन्याहू ने कहा कि हम चाहते हैं कि गाजा भविष्य में अब कभी भी इस्राइल के लिए खतरा न बने, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप इसे एक नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं। ट्रंप का विचार अलग है और इससे गाजा का भविष्य बदल जाएगा। इस विचार पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। नेतन्याहू ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो इससे इतिहास बदल सकता है।

 

 

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