अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और डेमोक्रेट सांसदों के बीच मंगलवार को ट्रंप प्रशासन की विदेश नीति को लेकर तीखी बहस हुई। इन मुद्दों में यूक्रेन-रूस युद्ध, गाजा संकट, शरणार्थी नीति और दक्षिण अफ्रीका से श्वेत आप्रवासियों का आगमन शामिल रहा।
मार्को रुबियो ने कहा कि अमेरिका इस्राइल को गाजा में मानवीय सहायता फिर से शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, लेकिन धमकी नहीं दे रहा। यूरोपीय देशों की तरफ से इस्राइल पर लगाए गए प्रतिबंधों का अमेरिका समर्थन नहीं करता। हालांकि, उन्होंने यह माना कि गाजा में आम नागरिकों की स्थिति गंभीर है और सहायता जरूरी है। उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले दिनों में सहायता बहाल होगी।
रुबियो ने बताया कि यदि रूस ने युद्धविराम के लिए ठोस प्रस्ताव नहीं दिया, तो अमेरिका उस पर नए प्रतिबंध लगाने पर विचार करेगा। हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप फिलहाल प्रतिबंधों की धमकी नहीं देना चाहते क्योंकि इससे शांति वार्ता प्रभावित हो सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि वेटिकन, नए चुने गए पोप लियो 14वें के नेतृत्व में, संभावित वार्ताओं की मेज़बानी कर सकता है।
डेमोक्रेट्स ने ट्रंप प्रशासन पर आरोप लगाया कि उन्होंने पूरी शरणार्थी नीति को रोक दिया है लेकिन दक्षिण अफ्रीका से श्वेत अफ्रीकियों को विशेष अनुमति दी जा रही है। इस पर रुबियो ने जवाब दिया कि अमेरिका को यह अधिकार है कि वह किन्हें शरण दे और किन्हें नहीं। उन्होंने कहा कि कुछ समूहों की पृष्ठभूमि और उनकी जांच प्रक्रिया आसान होती है, इसलिए उन्हें प्राथमिकता दी जाती है।
सीनेटर जीन शहीन ने आरोप लगाया कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों से चीन को दुनिया भर में जगह मिल रही है। वहीं रुबियो ने लैटिन अमेरिकी देशों के साथ समझौतों की तारीफ की, जिनमें अमेरिका के साथ निर्वासित प्रवासियों को वापस लेने की सहमति शामिल है।
सीनेटर मिच मैककॉनेल और सुसन कॉलिंस जैसे कुछ रिपब्लिकन नेताओं ने भी विदेशी सहायता में कटौती पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि थोड़े पैसे से अमेरिका बहुत सारे मित्र बनाता है और यह सॉफ्ट पावर अमेरिका की वैश्विक छवि को मजबूत करती है।