अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कड़ी चेतावनियों और प्रतिबंधों की धमकियों के बावजूद, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। रूस ने साफ कर दिया है कि जब तक पश्चिमी देश उनकी शर्तों पर बातचीत के लिए नहीं आते, वह यूक्रेन में अपनी सैन्य कार्रवाई जारी रखेगा।
🇷🇺 पुतिन के इरादे स्पष्ट: युद्ध जारी रहेगा
क्रेमलिन से जुड़े सूत्रों के हवाले से जानकारी सामने आई है कि राष्ट्रपति पुतिन को इस बात की परवाह नहीं कि अमेरिका या अन्य पश्चिमी देश क्या धमकियां दे रहे हैं। उनका मानना है कि रूस पहले ही कई कड़े आर्थिक प्रतिबंधों को झेल चुका है और वह और भी प्रतिबंधों को सहने के लिए तैयार है।
पुतिन की रणनीति यही है कि पश्चिम खुद उनके पास बातचीत के लिए आए, न कि दबाव में आकर कोई समझौता हो।
🇺🇸 अमेरिका का जवाब: यूक्रेन को मिलेगी सैन्य ताकत
इससे ठीक एक दिन पहले, ट्रंप ने यूक्रेन को अरबों डॉलर मूल्य के हथियारों की आपूर्ति की घोषणा की थी। इनमें पैट्रियट एयर डिफेंस मिसाइलें भी शामिल हैं। उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि अगर रूस 50 दिनों में शांति वार्ता के लिए तैयार नहीं होता, तो अमेरिका उन देशों पर 100% टैरिफ लगा देगा जो रूसी उत्पादों का आयात करते हैं।
ट्रंप-पुतिन के बीच बातचीत हुई, लेकिन समाधान नहीं निकला
सूत्रों का कहना है कि ट्रंप और पुतिन के बीच अब तक कई बार फोन पर बात हो चुकी है और अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकोफ ने भी मास्को जाकर बातचीत की कोशिश की थी, लेकिन रूस को अब भी लगता है कि अमेरिका शांति वार्ता को गंभीरता से नहीं ले रहा।
🇷🇺 रूसी विदेश मंत्री ने दी प्रतिक्रिया
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ट्रंप की धमकी को खारिज करते हुए कहा, “हम नए प्रतिबंधों के लिए पूरी तरह तैयार हैं। रूस की अर्थव्यवस्था इन झटकों को झेलने में सक्षम है।” उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप दिन में शांति की बात करते हैं और रात को यूक्रेन में बमबारी का आदेश देते हैं।
अमेरिका की रणनीति: हमले वाले हथियारों की आपूर्ति संभव
हालांकि, ट्रंप ने यह भी कहा कि यूक्रेन को “रक्षात्मक” के साथ-साथ “आक्रामक” हथियार भी दिए जा सकते हैं। लेकिन मंगलवार को उन्होंने यूक्रेन से मॉस्को पर सीधे हमले से बचने की अपील भी की।
रूस और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच यूक्रेन फिर से संघर्ष का केंद्र बन गया है। ट्रंप की धमकियों का पुतिन पर कोई खास असर नहीं दिख रहा, और रूस यूक्रेन में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के मूड में है। आने वाले दिनों में यह टकराव और गंभीर रूप ले सकता है, जिससे न केवल यूरोप बल्कि पूरी दुनिया प्रभावित हो सकती है।