भारत और 27 देशों के यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच 10वें दौर की मुक्त व्यापार समझौता (एफटीओ) वार्ता 10 से 14 मार्च को ब्रसेल्स में होगी। यह वार्ता ऐसे वक्त में हो रही है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से उच्च टैरिफ लगाने की आशंका बनी हुई है। एक अधिकारी के मुताबिक, दोनों ही पक्ष समझौते को इस साल के अंत तक अंतिम रूप देने की कोशिश में हैं। यूरोपीय संघ के व्यापार एवं आर्थिक सुरक्षा आयुक्त मारोस सेफकोविक की हालिया यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने एफटीए वार्ता को तेजी से आगे बढ़ाने पर बात की थी। इससे पहले बीते महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच भी इस साल के अंत तक समझौते को पूरा करने पर सहमति बनी।भारत और ईयू के बीच एफटीए वार्ता 2013 में रुक गई थी, क्योंकि दोनों पक्षों के बीच बाजार खोलने के स्तर को लेकर मतभेद थे। हालांकि, जून 2022 में वार्ता फिर से शुरू हुई। इसके अलावा, निवेश सुरक्षा समझौते और भौगोलिक संकेत (जीआई) समझौते पर भी चर्चा हो रही है। थिंक टैंक वैश्विक व्यापार अनुसंधान पहल (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव कहते हैं कि सरकारी खरीद, निवेश संरक्षण और कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) जैसे पर्यावरण नियम वार्ता को और पेचीदा बनाते हैं। हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद, दोनों पक्षों के बीच एक सफल समझौता द्विपक्षीय व्यापार को बड़ा फायदा मिल सकता है। वित्त वर्ष 2024 में भारत-ईयू का कुल व्यापार 190 अरब डॉलर से अधिक हो गया था।
भारत ने ईयू को 76 अरब डॉलर का माल और 30 अरब डॉलर की सेवाएं निर्यात कीं। ईयू ने भारत को 61.5 अरब डॉलर का माल और 23 अरब डॉलर की सेवाएं निर्यात कीं। जीटीआरआई के मुताबिक, दोनों पक्षों के बीच कई अहम मुद्दे अब भी अनसुलझे हैं। खासतौर से कृषि शुल्क, विशेष रूप से डेयरी और शराब के आयात शुल्क, ऑटोमोबाइल शुल्क सहित श्रम-प्रधान वस्तुओं पर असर डालने वाली नियामक बाधाएं अभी भी बनी हुई हैं। एफटीए वार्ता में कृषि अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र बना हुआ है। ईयू चाहता है कि भारत डेयरी उत्पादों (जैसे चीज और स्किम्ड मिल्क पाउडर) पर आयात शुल्क घटाए, लेकिन भारत अपने घरेलू डेयरी उद्योग की रक्षा के लिए इन्हें उच्च रखता है। वहीं, ईयू चाहता है कि भारत यूरोपीय कारों पर आयात शुल्क घटाए, लेकिन भारत अपने स्थानीय कार निर्माताओं की सुरक्षा को लेकर सतर्क है।