अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को सीरिया के नए राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से मुलाकात की। ट्रंप की यह मुलाकात सऊदी अरब में हुई, जहां उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन के साथ मिलकर बातचीत की। इसके बाद ट्रंप ने सीरिया पर लगे 13 साल पुराने प्रतिबंध हटाने का एलान किया। साथ ही कहा कि हमें उम्मीद है कि सीरिया की नई सरकार देश में स्थिरता और शांति लाएगी। बता दें कि यह वही अल-शरा हैं जो पहले अमेरिका के कब्जे में थे और अल-कायदा से जुड़े रहे हैं। उनकी सरकार ने हाल ही में दमिश्क पर कब्जा कर असद परिवार के 54 साल पुराने शासन का अंत कर दिया था।
डोनाल्ड ट्रंप और सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा के बीच बैठक लगभग 33 मिनट तक चली, जिसमें सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी मौजूद रहे और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने वीडियो कॉल के जरिए हिस्सा लिया। बैठक के बाद ट्रंप ने बताया कि उन्हें अल-शरा से मिलने के लिए सऊदी और तुर्की नेताओं ने प्रेरित किया। साथ ही इस बैठक के बाद ट्रंप ने ऐलान किया कि सीरिया पर 2011 से लगे आर्थिक प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सीरिया में अब एक नई सरकार है जो देश में शांति और स्थिरता ला सकती है। यही हम देखना चाहते हैं।
सीरिया पर लगे प्रतिबंध उस समय के राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन के दौरान लगाए गए थे, ताकि उनकी सरकार की अर्थव्यवस्था पर दबाव बनाया जा सके। असद को दिसंबर में सत्ता से हटा दिया गया था। बाइडेन और ट्रंप दोनों सरकारों ने असद के हटने के बाद भी प्रतिबंध जारी रखे थे, क्योंकि वे अल-शरा की मंशा को परखना चाहते थे।
देखा जाए तो सऊदी अरब में अल-शरा से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात कूटनीतिक और राजनीतिक तौर पर बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है। कारण है कि यह पहली बार है जब अमेरिका के किसी राष्ट्रपति ने एक ऐसे व्यक्ति से बातचीत और मुलाकात की है, जो कभी आतंकवादी संगठनों का हिस्सा रहा हो। हालांकि अभी यह देखना बाकी है कि इस नई सीरियाई सरकार के साथ अमेरिका के रिश्ते किस दिशा में बढ़ते हैं।
गौरतलब है कि सीरिया के नए राष्ट्रपति अल-शरा पहले अबू मोहम्मद अल-गोलानी के नाम से जाने जाते थे और अमेरिकी सेना के खिलाफ इराक में लड़ चुके हैं। अमेरिका ने उन पर $10 मिलियन का इनाम भी घोषित किया था। बाद में उन्होंने नुसरा फ्रंट नामक संगठन बनाया, जिसे बाद में हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) में बदल दिया और अल-कायदा से नाता तोड़ लिया।