अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने के हालिया ऐलान के बीच, फिजी के प्रधानमंत्री सितिवेनी लिगामामदा रबुका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक दबाव और आर्थिक चुनौतियों के बीच भी मोदी के पास इतनी ताकत और क्षमता है कि वे भारत को इन मुश्किल हालात से उबार सकते हैं।
नई दिल्ली में दिया बयान
फिजी के प्रधानमंत्री इन दिनों भारत दौरे पर हैं। मंगलवार को उन्होंने नई दिल्ली स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स (ICWA) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत की। ‘ओशन ऑफ पीस’ विषय पर अपने संबोधन के बाद जब उनसे सवाल पूछे गए, तो उन्होंने पीएम मोदी से हुई अपनी हालिया बातचीत का जिक्र किया।
रबुका ने कहा – “कुछ दिन पहले मैंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा था कि कोई आपसे खफा है, लेकिन आप इतने मज़बूत हैं कि इन मुश्किलों को संभाल सकते हैं।”
भारत-फिजी रिश्तों में नई ऊर्जा
फिजी प्रधानमंत्री का यह बयान उनके चार दिवसीय भारत दौरे का हिस्सा है। उनकी पत्नी सुलुवेती रबुका भी उनके साथ आई हैं। रविवार को नई दिल्ली पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत हुआ।
- 25 अगस्त को उन्होंने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी और उसके बाद हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
- इस मुलाकात में दोनों देशों ने कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जो द्विपक्षीय सहयोग को और मज़बूत करेंगे।
- इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात की।
26 अगस्त को सप्तु हाउस में अपने संबोधन के दौरान रबुका ने कहा कि भारत और फिजी के बीच संबंध केवल कूटनीतिक स्तर पर नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति की गहरी जड़ों से जुड़े हैं।
1879 से जुड़ी साझा विरासत
भारत और फिजी का रिश्ता सदियों पुराना है। वर्ष 1879 से 1916 के बीच करीब 60,553 भारतीय मजदूर, जिन्हें ‘गिरमिटिया’ कहा गया, फिजी ले जाए गए। इन मजदूरों ने वहां गन्ने के खेतों में काम किया और धीरे-धीरे भारतीय संस्कृति फिजी समाज का अभिन्न हिस्सा बन गई।
1920 में यह गिरमिट प्रथा समाप्त हुई, लेकिन भारतीय समुदाय फिजी की पहचान में रच-बस गया।
आज भी फिजी की कुल आबादी का एक बड़ा हिस्सा भारतीय मूल का है। यही वजह है कि दोनों देशों के बीच संबंध केवल राजनीतिक या आर्थिक तक सीमित नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक बंधनों पर भी आधारित हैं।
स्वतंत्रता और कूटनीतिक रिश्ते
फिजी को 1970 में स्वतंत्रता मिली, लेकिन उससे पहले ही भारत ने 1948 में वहां अपना प्रतिनिधि भेजना शुरू कर दिया था। बाद में इस पद को हाई कमिश्नर का दर्जा दे दिया गया। आज दोनों देशों के बीच शिक्षा, संस्कृति, व्यापार और रणनीतिक क्षेत्रों में गहरे रिश्ते हैं।
दौरे का समापन
रबुका का यह दौरा 27 अगस्त को समाप्त होगा। विश्लेषकों का मानना है कि यह यात्रा न सिर्फ भारत-फिजी संबंधों को और मजबूत बनाएगी, बल्कि भारत के इंडो-पैसिफिक रणनीतिक हितों में भी अहम भूमिका निभाएगी।