मिशन इंद्रधनुष और शून्य-खुराक कार्यान्वयन टीकाकरण जैसी योजनाएं सक्रिय और समावेशी ढंग से लागू करके भारत पूरी दुनिया में मिसाल बनकर उभरा है। वर्ष 2023 में देश की कुल आबादी में शून्य खुराक बच्चों का आंकड़ा 0.11 फीसदी था जो 2024 में घटकर 0.06 फीसदी पर पहुंच गया। सरकार ने इस उपलब्धि पर खुशी जताने के साथ हर बच्चे तक टीकाकरण सुविधा पहुंचाने के अपने अभियान में तेजी लाने की प्रतिबद्धता भी जताई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह उपलब्धि भारत को वैश्विक उदाहरण के तौर पर स्थापित करती है, जैसा संयुक्त राष्ट्र अंतर-एजेंसी समूह ने अपनी 2024 की रिपोर्ट में माना भी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों के तहत ऐसे बच्चों को शून्य-खुराक की श्रेणी में रखा जाता है, जो विभिन्न कारणों से नियमित टीकाकरण से वंचित हैं और जिन्हें डीटीपी (डिप्थीरिया-टिटनेस-पर्टुसिस) की पहली खुराक भी नहीं मिली है। मंत्रालय ने कहा, ज्यादा से ज्यादा बच्चों का टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए हम प्रौद्योगिकी और सामुदायिक सहभागिता का लाभ उठा रहे हैं। यू-विन प्लेटफॉर्म, टीकाकरण की स्थिति को डिजिटली ट्रैक करता है, ताकि कोई भी बच्चा छूट न जाए।
विभिन्न पहलों ने बदली तस्वीर
- 2024 में शून्य खुराक कार्यान्वयन योजना 11 राज्यों के 143 ऐसे जिलों में शुरू की गई, जहां टीकाकरण से वंचित बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा है।
- 2014 से चल रहे मिशन इंद्रधनुष को 2017 में राज्य सरकारों के सहयोग से तेज किया गया। इसके तहत टीकाकरण से वंचित46 करोड़ बच्चों और 1.32 करोड़ गर्भवती महिलाओं को टीके लगाए गए। -पल्स पोलियो अभियान के तहत राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस और उप-राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस आयोजित करने का ही नतीजा है कि भारत 2014 से पोलियो मुक्त स्थिति में है।
- ग्राम स्वास्थ्य और पोषण दिवस के तहत सामुदायिक स्तर पर टीकाकरण और दूरदराज तक पहुंच सुनिश्चित करने की गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।
बाल मृत्यु दर घटने में टीकाकरण का अहम योगदान
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि टीकाकरण अभियान की सफलता का ही नतीजा है कि देश में बाल मृत्यु दर में कमी आई है। संयुक्त राष्ट्र अंतर एजेंसी समूह (यूएनआईजीएमई) की वर्ष 2024 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर) में 78% की गिरावट हासिल की है, जो वैश्विक कमी 61% से ज्यादा है।