कोलकाता। राज्यपाल पर हथियार रखने के लगाए गए आरोपों के बाद पश्चिम बंगाल में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। मामले को गंभीर बताते हुए राज्यपाल ने स्वयं राजभवन में व्यापक तलाशी अभियान चलाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता और सत्य सामने लाने के लिए यह कदम आवश्यक है, ताकि किसी भी तरह की अफवाह या झूठे आरोपों की गुंजाइश न बचे।
तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद ने हाल में दावा किया था कि राजभवन परिसर में हथियार मौजूद हैं, जिससे सुरक्षा और राजनीतिक तटस्थता पर सवाल खड़े होते हैं। आरोप सामने आते ही राज्य की सियासत में हलचल मच गई। टीएमसी नेताओं ने इस बयान के आधार पर राज्यपाल पर निशाना साधा, जबकि विपक्ष ने इसे “बिना प्रमाण की राजनीति” करार दिया।
राज्यपाल ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि राजभवन देश की संवैधानिक गरिमा का प्रतीक है और इस पर लगाए गए किसी भी तरह के आरोप की पूरी जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा—
“जो भी कहा गया है, वह गंभीर और असत्य प्रतीत होता है। इसलिए मैंने निर्णय लिया है कि राजभवन की हर इकाई, हर कक्ष और परिसर का निरीक्षण किया जाएगा। यदि कुछ भी पाया गया तो कार्रवाई होगी, और यदि आरोप झूठे साबित हुए तो यह भी जनता के सामने आएगा।”
सूत्रों के अनुसार तलाशी अभियान के दौरान राजभवन सुरक्षा टीम के साथ राज्य पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। निरीक्षण प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जा सकती है, ताकि किसी भी पक्ष को शंका का अवसर न मिले।
टीएमसी सांसद ने अपने बयान पर कायम रहते हुए कहा कि उनकी आशंका निराधार नहीं है और जांच से सब स्पष्ट हो जाएगा। पार्टी नेताओं ने राज्यपाल के निर्णय का स्वागत तो किया, लेकिन साथ ही कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए स्वतंत्र एजेंसी की निगरानी जरूरी है।
भाजपा और विपक्ष ने इन आरोपों को राजनीतिक हथकंडा बताते हुए कहा कि टीएमसी सरकार लगातार constitutional संस्थाओं को निशाना बनाकर भ्रम फैलाने का काम कर रही है।
इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य सरकार और राजभवन के बीच पहले से चल रहे तनाव को दोबारा बढ़ा दिया है। दोनों पक्षों के बयान से स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा विधानसभा और संसद तक गूंज सकता है।
राजभवन में तलाशी अभियान की तारीख जल्द घोषित की जाएगी। सभी की निगाहें इस निरीक्षण पर होंगी, क्योंकि इससे विवाद का दिशा और राजनीतिक प्रभाव दोनों तय होंगे।





