भारत में जैव क्रांति के लिए केंद्र ने राज्यों को साथ लेकर आगे बढ़ने का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे लेकर पहली बार सात फरवरी को नई दिल्ली में केंद्र-राज्य कॉन्क्लेव होने जा रहा है। जैव विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक राज्य में एआई हब तैयार करने का प्रस्ताव शामिल है। इसके अलावा केंद्र ने तय किया है कि योजना से जुड़े सभी कार्यों की तीन महीने में एक बार समीक्षा होनी चाहिए। जैव-परिवर्तन के लिए प्रत्येक राज्य में चार तरह की समितियों का गठन करने का प्रस्ताव है जो जैव विनिर्माण पहलों को लागू करने के लिए रणनीतियों’ की सिफारिश और अनुमोदन में सहयोग करेगीं।जानकारी के अनुसार, देश में उच्च प्रदर्शन वाले जैव विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 24 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बायो ई 3 (जैव प्रौद्योगिकी के लिए अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार ) नीति को मंजूरी दी। इसके बाद 31 अगस्त 2024 को इसे जारी किया गया। इसके तहत छह क्षेत्रों की पहचान की है, जिसमें जैव-आधारित रसायन, बायोपॉलीमर व एंजाइम, स्मार्ट प्रोटीन प कार्यात्मक खाद्य पदार्थ, सटीक जैव चिकित्सा, जलवायु-लचीली कृषि, कार्बन कैप्चर व इसका उपयोग, समुद्री और अंतरिक्ष अनुसंधान शामिल हैं। सरकार का दावा है कि इससे बायो मैन्युफैक्चरिंग एवं बायो-एआई हब और बायोफाउंड्री की स्थापना के माध्यम से प्रौद्योगिकी के विकास और व्यावसायीकरण में तेजी आएगी। केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बायो ई 3 नीति को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब इसका लक्ष्य हासिल करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच भागीदारी बहुत जरूरी है। इसलिए यह कॉन्क्लेव रखा है, जिसमें राज्यों के साथ अंतिम सहमति बनेगी।जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारी का कहना है कि ये क्रॉस-कटिंग प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म नवाचार की रीढ़ बनने के अलावा सभी पहचाने गए क्षेत्रों को सशक्त बनाएंगे और जैव-विनिर्माण को लेकर वैश्विक नेता बनने की दिशा में भारत को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि आगामी वर्षों में बायो ई 3 नीति के तहत यह पहल राज्यों में आर्थिक विकास, पर्यावरणीय स्थिरता और रोजगार सृजन को बढ़ावा देगी।





