जूना अखाड़े के परिसर में दूसरे दिन भी धर्म संसद का आयोजन किया गया। हालांकि पुलिस और प्रशासनिक अमला अखाड़े के किनारे मौजूद रहे। इसमें महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद, डॉ. उदिता त्यागी, अयोध्या की हनुमानगढ़ी के संत राजू दास और संत कालीचरण भी शामिल हुए। संतों ने अधिकारियों पर जमकर आक्रोश जताया और मां बगलामुखी का हवन कर उनको सद्बुद्धि प्रदान करने की कामना की। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने कहा कि अब तक वह सनातन की रक्षा और मुस्लिम आतंकवाद के विनाश की कामना के साथ जप, तप और साधना के साथ मुखरता से बात रखते रहे हैं। पहली बाद उनको इस तरह आत्मग्लानि हुई कि प्रशासनिक अधिकारियों और उनके संरक्षकों के विनाश के लिए यज्ञ में आहुति दी है। उन्होंने कहा कि अपने ही देश में हिंदू हितों की रक्षा और उसके प्रति आवाज उठाना अपराध बताया जा रहा है। बांग्लादेश में हुए नृशंस हत्या पर सरकार मौन है और इसके प्रति आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने भारत में बढ़ते मुस्लिम आतंकवाद का दावा करते हुए शासन प्रशासन और केंद्र सरकार को भी आगाह किया। स्वामी यति नरसिंहानंद ने कहा कि धर्म संसद के पहले दिन अखाड़े में घुसकर संत परंपरा के साथ अभद्रता करना प्रशासनिक अधिकारियों की नासमझी है। सुप्रीम कोर्ट ने कभी कोई आदेश धर्म संसद के विरुद्ध नहीं दिया है। आदेश में केवल धर्म संसद की पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर जिस तरह संतों की मर्यादा के खिलाफ कार्य किया गया है यह कतई बर्दाश्त नहीं है। पहले भी जेल जा चुके हैं आगे भी बलिदान के लिए तैयार हैं।