वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में व्यापक बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 20 जून को केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक करने जा रही हैं। इस बैठक को जीएसटी परिषद की अगली बैठक की नींव माना जा रहा है, जिसमें दरों के पुनर्गठन, इनपुट टैक्स क्रेडिट की प्रक्रिया में सुधार और क्षतिपूर्ति सेस के भविष्य पर अहम निर्णय लिए जा सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, 12 प्रतिशत के मौजूदा टैक्स स्लैब को समाप्त कर इससे जुड़ी वस्तुओं को 5 प्रतिशत या 18 प्रतिशत की श्रेणी में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है। सरकार का मानना है कि टैक्स स्लैब की संख्या घटाकर प्रणाली को अधिक तार्किक और सरल बनाया जा सकता है। वर्तमान में जीएसटी के तहत 3%, 5%, 12%, 18% और 28% की दरें लागू हैं।
बैठक में जीएसटी संग्रह की मौजूदा स्थिति और प्रस्तावित दरों में बदलाव से संभावित असर पर भी चर्चा की जाएगी। वित्त मंत्रालय यह सुनिश्चित करना चाहता है कि किसी भी प्रकार के बदलाव से राजस्व संग्रह में गिरावट न आए। उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 के पहले दो महीनों में ही जीएसटी संग्रह प्रति माह दो लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है।
इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड से जुड़ी समस्याएं भी बैठक के एजेंडे में शामिल हैं। वर्तमान नियमों के अनुसार, अगर खरीदार ने अपना जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किया है, तो विक्रेता को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिल पाता। इस व्यवस्था के सरलीकरण को लेकर भी ठोस प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा।
बैठक में क्षतिपूर्ति सेस की वैधता और भविष्य को लेकर भी मंथन होगा। यह सेस मार्च 2026 में समाप्त होने वाला है। इसे जारी रखने या समाप्त करने को लेकर जीएसटी परिषद अंतिम निर्णय लेगी। इस विषय पर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के नेतृत्व में गठित समूह आगामी 30 जून तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
पिछले छह महीनों से जीएसटी परिषद की बैठक नहीं बुलाई गई है, जबकि सामान्यतः प्रत्येक तीन महीने में बैठक आयोजित की जाती है। दिसंबर 2024 में हुई अंतिम बैठक में दरों की समीक्षा को लेकर मंत्रियों का एक समूह गठित किया गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट परिषद को सौंप दी है।
अब 20 जून की बैठक के बाद जीएसटी परिषद की अगली बैठक आयोजित होने की संभावना है, जिसमें दरों में बदलाव सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं।