Friday, September 20, 2024

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जिला न्यायपालिका कानून के शासन का महत्वपूर्ण घटक और न्यायतंत्र की रीढ़

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को जिला न्यायपालिका को ‘न्यायतंत्र की रीढ़’ बताया। उन्होंने कहा कि यह कानून के शासन का एक महत्वपूर्ण घटक है। प्रधान न्यायाधीश ने जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ कहना बंद करना जरूरी है। न्याय की तलाश में निकले नागरिक के लिए जिला न्यायपालिका पहला संपर्क बिंदु है। जिला न्यायपालिका कानून के शासन का एक महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने आगे कहा कि कार्य की गुणवत्ता तथा वे परिस्थितियां जिनमें न्यायपालिका नागरिकों को न्याय दिलाती है, यह निर्धारित करती हैं कि उनका न्यायिक प्रणाली में विश्वास है या नहीं।  सीजेआई ने कहा कि इसलिए जिला न्यायपालिका से जबरदस्त जिम्मेदारी निभाने की अपेक्षा की जाती है और इसे ‘न्यायपालिका की रीढ़’ कहना उचित ही है। रीढ़ तंत्रिका तंत्र का मूल है। उन्होंने आगे कहा कि कानूनी प्रणाली की रीढ़ को बनाए रखने के लिए हमें जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ न्यायपालिका कहना बंद करना चाहिए। आजादी के 75 साल बाद अब समय आ गया है कि हम अंग्रेजों के जमाने की औपनिवेशिक और पराधीनता की मानसिकता को समाप्त कर दें।न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि ई-अदालत परियोजना 3,500 से अधिक अदालत परिसरों और 22,000 से अधिक अदालत कक्षों के कंप्यूटरीकरण के लिए भी जिम्मेदार है। इसके अलावा, जिला न्यायपालिका ने दिन-प्रतिदिन के मामलों में प्रौद्योगिकी को तैनात करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश में जिला अदालतों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 2.3 करोड़ मामलों की सुनवाई की है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त हर भाषा में अनुवाद हो रहा है और 73,000 अनुदित फैसले सार्वजनिक दायरे में हैं।

न्यायपालिका की बदलती जनसांख्यिकी के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जिला न्यायपालिका में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि साल 2023 में राजस्थान में सिविल जजों की कुल भर्ती में 58 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं। 2023 में दिल्ली में नियुक्त न्यायिक अधिकारियों में से 66 प्रतिशत महिलाएं थीं। उत्तर प्रदेश में 2022 बैच में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के लिए नियुक्तियों में 54 प्रतिशत महिलाएं थीं।

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