कोविंद समिति ने एक साथ चुनाव की सिफारिश करने से पहले दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, जर्मनी, बेल्जियम, जापान, इंडोनेशिया और फिलीपीन की चुनाव प्रक्रियाओं का अध्ययन किया। इन देशों में एक साथ चुनाव होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एक साथ चुनाव के मुद्दे से निपटने के दौरान अन्य देशों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया। इसका उद्देश्य चुनावों में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करना और उन्हें अपनाना था। समिति के सदस्य और संविधानविद सुभाष सी कश्यप ने जर्मन मॉडल का समर्थन किया। उन्होंने बताया कि जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग के चुनाव में मतदाता एक साथ दो वोट डालते हैं। इनमें से एक वोट स्थानीय उम्मीदवार के लिए होता है और दूसरा वोट पार्टी के लिए। इसके साथ ही उन्होंने जापान की चुनावी प्रक्रिया का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भारत में इन दोनों में से कोई एक प्रक्रिया अपनाई जा सकती हैं। जापान में प्रधानमंत्री को पहले नेशनल डायट (जापानी संसद) द्वारा चुना जाता है। इसके बाद उस पर अंतिम मुहर जापान के राजा द्वारा लगाई जाती है। दक्षिण अफ्रीका में नेशनल असेंबली और प्रांतीय विधानमंडल, दोनों के लिए एक साथ मतदान होता है। हालांकि, नगरपालिका चुनाव पांच साल के चक्र में प्रांतीय चुनाव से अलग होते हैं। इस साल 29 मई को दक्षिण अफ्रीका में आम चुनाव होंगे। वहीं, स्वीडन में आनुपातिक चुनाव प्रणाली के आधार पर चुनाव होते हैं। इस प्रणाली में राजनीतिक दलों को उनके वोटों के आधार पर निर्वाचित विधानसभा में सीटें दी जाती हैं। समिति ने बताया कि स्वीडन में वोटिंग के लिए अपनाई जाने वाली प्रणाली में संसद (रिक्सडैग), काउंटी परिषदों और नगर परिषदों के लिए चुनाव एक ही समय में होते हैं।