रूस और चीन ने एक बार फिर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जापान सागर में संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है। इस अभ्यास का नाम है “मैरीटाइम इंटरेक्शन-2025″, जो दोनों देशों के गहराते सैन्य सहयोग और पश्चिमी देशों विशेषकर अमेरिका व NATO को जवाब देने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।
क्या है इस रिहर्सल की खास बात?
रूसी प्रशांत बेड़े की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, इस अभ्यास में शामिल हैं:
- रूस की परमाणु पनडुब्बियां
- चीन के विध्वंसक युद्धपोत
- दोनों देशों की डीजल और इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां
- तोपखाना और पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता का प्रदर्शन
इस अभ्यास का मकसद साझा समुद्री रणनीति, कम्युनिकेशन, और युद्धक तकनीकों को मजबूत करना है।
🇷🇺 ट्रंप की पनडुब्बी तैनाती पर रूस की ‘चुप्पी’ और चीन से साझेदारी
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के निकट दो परमाणु पनडुब्बियां तैनात करने की घोषणा की थी। इस पर सीधे प्रतिक्रिया देने के बजाय रूस ने चीन के साथ मिलकर यह शक्तिप्रदर्शन शुरू कर दिया है।
पूर्व रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने ट्रंप को चेतावनी देते हुए कहा था कि वे रूस को प्रतिबंधों की धमकी देना बंद करें, इसके बाद ही यह समुद्री अभ्यास शुरू हुआ।
रूस-चीन सैन्य गठजोड़: नाटो के खिलाफ मोर्चाबंदी
फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने से ठीक पहले रूस और चीन ने ‘बिना सीमाओं वाला रणनीतिक सहयोग’ समझौता किया था। तब से अब तक
- दोनों देश कई साझा सैन्य अभ्यास कर चुके हैं
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की मौजूदगी को चुनौती देने के लिए एकजुट हो रहे हैं
- यह रिहर्सल नाटो की एशिया रणनीति को काउंटर करने की कवायद के रूप में भी देखा जा रहा है।
भू-राजनीतिक संकेत क्या हैं?
- रूस और चीन सैन्य और रणनीतिक मोर्चे पर अब और करीब आ चुके हैं।
- जापान सागर में किया जा रहा अभ्यास अमेरिका और उसके सहयोगियों को स्पष्ट संकेत है कि एशिया में उनकी हर चाल पर नजर रखी जा रही है।
- ट्रंप की आक्रामक विदेश नीति और अमेरिकी टैरिफ व सैन्य तैनाती से निपटने के लिए रूस-चीन अब मिलिट्री शो ऑफ फोर्स के जरिए जवाब दे रहे हैं।