Tuesday, July 1, 2025

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जहां राष्ट्रीय सुरक्षा की बात हो, वहां नियम-कायदे नहीं देखते’, हाईकोर्ट में क्यों कही गई ये बात?

तुर्किये की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज की भारत सरकार द्वारा सिक्योरिटी क्लीयरेंस खत्म किए जाने का मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में चल रहा है। कंपनी ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। सोमवार को इस मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि ‘बाद में सॉरी बोलने से अच्छा है कि सुरक्षित रहा जाए।’

कंपनी की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी अदालत में पेश हुए। उन्होंने कहा कि ‘सरकार ने सिक्योरिटी क्लीयरेंस हटाने की कोई वजह नहीं बताई और न ही कंपनी को अपना पक्ष रखने का मौका दिया। ऐसा लगता है कि सरकार ने सिर्फ लोगों की भावनाओं के आधार पर यह फैसला किया, क्योंकि कंपनी तुर्किये की है।’ गौरतलब है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में तुर्किये ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया। इतना ही नहीं तुर्किये ने पाकिस्तान की मदद के लिए अपने ड्रोन्स भी भेजे। इसे लेकर भारत के लोगों में तुर्किये से नाराजगी है। भारत में तुर्किये के सामान के बहिष्कार की मांग उठ रही है। इसी के तहत भारत में कई एयरपोर्ट्स का प्रबंधन कर रही तुर्किये की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर भी सवाल उठे। इसके बाद सरकार ने 15 मई को कंपनी की सिक्योरिटी क्लीयरेंस खत्म करने का फैसला किया।

सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कंपनी का पक्ष रखते हुए कहा कि कंपनी बीते 17 वर्षों से भारत में काम कर रही है। रोहतगी ने कहा कि ‘कुछ नियम-कायदों का पालन किया जाना चाहिए। कोई भी सिर्फ दो लाइन का नोटिस भेजकर हमारे बिजनेस को बंद नहीं कर सकता।’

इस पर केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता एयरपोर्ट के संचालन से जुड़ा है। यह नागरिक उड्डयन का सबसे संवेदनशील मामला है। साथ ही यह देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ा मामला है। मेहता ने ये भी कहा कि ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) ने सेलेबी को भेजे नोटिस में साफ कहा है कि सिक्योरिटी क्लीयरेंस का मुद्दा नागरिक उड्डयन मंत्रालय का अधिकार है और नागरिक उड्डयन मंत्रालय बिना कोई कारण बताए भी सिक्योरिटी क्लीयरेंस को खत्म कर सकता है।

तुषार मेहता ने कहा कि अगर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला हो तो वहां नियम-कायदे नहीं देखे जाते। इस पर रोहतगी ने कंपनी में भारतीय कर्मचारियों के काम करने का हवाला दिया। इस पर मेहता ने कहा कि उन्हें कंट्रोल कौन करता है, ये अहम है। दुश्मन 10 बार कोशिश करता है और उसे बस एक बार सफल होना होता है। जबकि सुरक्षा एजेंसियों को हर बार सफल होना पड़ता है। राष्ट्रीय सुरक्षा में नागरिक उड्डयन सुरक्षा सबसे अहम है।
दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई 21 मई तक टाल दी। साथ ही केंद्र सरकार से पूछा है कि सरकार ने किस प्रावधान के तहत कंपनी की सिक्योरिटी क्लीयरेंस खत्म की है। बता दें कि सेलेंबी कंपनी बीते कई वर्षों से भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र में काम कर रही है। यह देश के नौ एयरपोर्ट्स का प्रबंधन करती है और इसमें 10 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं। यह भारत में सालाना 58 हजार उड़ानों और 5,40,000 टन से ज्यादा कार्गो हैंडल करती है।

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