नई दिल्ली: जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की प्रक्रिया अब लोकसभा में औपचारिक रूप से शुरू की जाएगी। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला जल्द ही एक जांच समिति के गठन की घोषणा करेंगे, जो उनके खिलाफ लगे आरोपों की पड़ताल करेगी।
क्या है मामला?
मार्च में जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से अधजली नोटों की गड्डियां बरामद हुई थीं। इसके बाद उनका तबादला दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया था।
प्रक्रिया का अगला चरण: जांच समिति का गठन
- लोकसभा और राज्यसभा के अध्यक्षों के बीच हुई बैठक में प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया।
- बैठक में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के कार्यवाहक सभापति हरिवंश, गृह मंत्री अमित शाह और दोनों सदनों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
- समिति में होंगे:
- सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश
- एक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
- एक वरिष्ठ कानूनविद्
लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस
- लोकसभा में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस सोमवार को दाखिल किया गया।
- इस पर 152 सांसदों के हस्ताक्षर हैं — जिनमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद शामिल हैं।
- राज्यसभा में दिए गए नोटिस पर 63 विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर हैं।
नोटिस की वैधता पर उठे सवाल
- कानूनी जानकारों के अनुसार, जब लोकसभा अध्यक्ष नोटिस स्वीकार कर लें, तो प्रक्रिया शुरू मानी जाती है।
- लेकिन राज्यसभा के तत्कालीन सभापति जगदीप धनखड़ ने नोटिस का सिर्फ उल्लेख किया, स्वीकार नहीं किया था।
- ऐसे में समिति गठन के लिए राज्यसभा के कार्यवाहक सभापति हरिवंश से परामर्श लिया जाएगा।
आगे की प्रक्रिया क्या होगी?
- यदि जांच समिति जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराती है, तो लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
- प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना होगा।
- फिर यह राज्यसभा में पेश होगा, जहां वही प्रक्रिया दोहराई जाएगी।
राजनीतिक पृष्ठभूमि में हलचल
महाभियोग प्रक्रिया के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद भवन में मुलाकात की। यह बैठक उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे और SIR मुद्दे पर संसद में हो रहे विरोध के बीच हुई।
जस्टिस वर्मा के मामले में महाभियोग की प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर है। यदि जांच समिति उन्हें दोषी पाती है, तो संसद में इस दशक का सबसे बड़ा संवैधानिक कदम उठाया जा सकता है।