जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने सोमवार को जर्मन संसद में विश्वास मत खो दिया। इसके साथ ही इससे वहां फरवरी में समय से पहले चुनाव होने की संभावना है। 6 नवंबर को तीन-पक्षीय गठबंधन टूटने के बाद शोल्ज अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। 733 सीटों वाले निचले सदन (बुंडेस्टैग) शोल्ज को बहुमत के लिए 367 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी। पर उन्हें 207 सांसदों का समर्थन ही मिला, जबकि 394 ने उनके खिलाफ वोट दिया और 116 ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।बता दें कि जर्मनी की स्थिर अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के तरीके पर विवाद होने के चलते गत दिनों शोल्ज ने अपने वित्त मंत्री को निकाल दिया था। इसी के चलते गठबंधन सरकार में मनमुटाव हो गया और कई प्रमुख दलों के नेताओं ने संसदीय चुनाव निर्धारित समय से सात महीने पहले 23 फरवरी को कराए जाने पर सहमति जताई। विश्वास मत की आवश्यकता इसलिए पड़ी, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी का संविधान बुंडेस्टाग को भंग करने की अनुमति नहीं देता। अब राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर को यह तय करना है कि संसद को भंग किया जाए या नहीं और चुनाव कराए जाएं या नहीं।खास बात यह है कि राष्ट्रपति स्टीनमीयर के पास यह निर्णय लेने के लिए सिर्फ 21 दिन का वक्त है कि अभी चुनाव कराया जाए या इसे टाला जाए। जर्मनी के नियम के अनुसार संसद भंग होने के बाद, चुनाव 60 दिनों के भीतर होने चाहिए।दरअसल शोल्ज ने बजट और आर्थिक नीतियों पर असहमति के कारण नवंबर में पूर्व वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर को बर्खास्त कर दिया था। ऐसे में नाराज होकर लिंडनर की फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी ने गठबंधन से बाहर निकलने का फैसला किया।





