उत्तरकाशी। श्रद्धा और भक्ति के माहौल में बुधवार को मां यमुना मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए विधिवत रूप से बंद कर दिए गए। जैसे ही मंदिर के कपाट बंद हुए, पूरा यमुनोत्री धाम “जय मां यमुना” के जयकारों से गूंज उठा। अब आगामी छह माह तक मां यमुना की पूजा शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली गांव में की जाएगी।
सुबह ब्रह्ममुहूर्त में विशेष पूजा-अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। पुजारियों ने मां यमुना की प्रतिमा का श्रृंगार कर डोली में विराजमान किया। इसके बाद मंदिर के मुख्य कपाट दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर विधि-विधान से बंद कर दिए गए।
कपाट बंद होने के साथ ही डोली यात्रा आरंभ हुई। सैकड़ों श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों की मौजूदगी में मां यमुना की डोली पुष्पों से सुसज्जित होकर यमुनोत्री धाम से खरसाली के लिए रवाना हुई। यात्रा मार्ग पर जगह-जगह भक्तों ने पुष्पवर्षा कर माता की आरती उतारी और भक्ति भाव से विदाई दी।
यमुनोत्री मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन ने कपाट बंद होने के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किए थे। इस दौरान सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात रहा।
गौरतलब है कि चारधामों में यमुनोत्री मंदिर के कपाट सबसे पहले और सबसे आखिरी में खुलते हैं। अब मां यमुना की पूजा शीतकाल के दौरान खरसाली स्थित शीतकालीन मंदिर में की जाएगी, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
मां यमुना के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा का औपचारिक समापन भी शुरू हो गया है। आने वाले दिनों में गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट भी क्रमवार बंद किए जाएंगे।