कर्नाटक में स्थापित किए जा रहे डॉप्लर मौसम रडार को लेकर मौसम विभाग की ओर से बड़ा अपडेट सामने आया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के बेंगलूरू केंद्र के प्रमुख एन पुवियारासन ने कहा कि मंगलूरू में कर्नाटक के पहले ‘सी बैंड’ डॉप्लर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर) का काम 15 जनवरी तक पूरा होना था लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते इसमें देरी हो रही है। पुवियारासन आईएमडी के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यशाल में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस माह के अंत तक यह काम करना प्रारंभ कर देगा। उन्होंने कहा कि, जरूरत अनुसार भूमि नहीं मिलने के कारण आईएमडी को यहां ‘एस-बैंड’ डीडब्ल्यूआर स्थापित करने में मुश्किलें आईं। हमें एक टावर और उसके साजो सामान के लिए कक्ष तैयार करने के लिए उचित स्थान की आवश्यकता है। उनके अनुसार शुरुआत में आईएमडी ने नंदी हिल्स में रडार लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे के अनुरोध पर बेंगलुरु में उपयुक्त स्थान की तलाश शुरू कर दी गई है। एस-बैंड रडार 400 किलोमीटर के दायरे की कवरेज प्रदान करता है, जबकि सी-बैंड और एक्स-बैंड की क्षमता क्रमशः 250 किलोमीटर और 100 किलोमीटर है। यह एक विशेष रडार होता है, जो एक-दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित वस्तुओं के वेग से संबंधित आंकड़ों को एकत्रित करने के लिये डॉप्लर प्रभाव का उपयोग करता है। यह उपकरण स्थान (श्रेणी एवं दिशा), ऊंचाई, तीव्रता और गतिशील एवं स्थिर वस्तुओं की गति का पता लगाने के लिये माइक्रोवेव क्षेत्र में विद्युत चुंबकीय तरंगों का उपयोग करता है। यह हवा में तैर रहे माइक्रोस्कोपिक पानी की बूंदों को पहचानने के साथ यह उनकी दिशा का भी पता लगाने में सक्षम है।
डॉप्लर रडार की मदद से मौसम विभाग को 400 किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसम बदलाव के बारे में सटीक का पता लगा सकते हैं। इस रडार में एक पैराबोलिक डिश एंटीना और एक फोम सैंडविच स्फेरिकल रेडोम का उपयोग किया गया है। डॉप्लर सिद्धांत पर काम करने वाला ये रडार बूंदों के आकार, उनके रफ्तार से संबंधित जानकारी को हर मिनट अपडेट भी करता है।