सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सुनवाई हुई। अदालत ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि अदालत ने इस पर बाद में विस्तृत चर्चा करने के लिए भी कहा है। कोर्ट ने इसको लेकर केंद्र सरकार से 6 हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है।
हालांकि, कोर्ट ने उम्मीदवारों को तेजी से शॉर्टलिस्ट करने के लिए केंद्र पर सवाल भी उठाए। कोर्ट ने कहा कि तेजी के साथ ही चयन समिति ने दो चुनाव आयुक्तों का चयन कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह चुने गए चुनाव आयुक्तों की योग्यता पर सवाल नहीं उठा रहा है, बल्कि उस प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है जिसके तहत चयन किया गया। इसको लेकर केंद्र से 6 हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि संसद से पास हुए कानून के तहत चुनाव आयुक्तों का चयन हुआ है। हम अंतरिम आदेश से कानून पर रोक नहीं लगाएंगे। चुनाव के बीच में आयोग के काम को प्रभावित करना ठीक नहीं है।
अदालत ने इस बात पर सवाल उठाया कि चयन कमिटी की मीटिंग को 15 मार्च से बदल कर 14 मार्च कर दिया गया। साथ ही, विपक्ष के नेता को बैठक से कुछ ही देर पहले नाम दिए गए। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर अपना मन लगाने के लिए चयन समिति को अधिक समय दिया जाना चाहिए था। चयन समिति को अधिकारियों की पृष्ठभूमि समझने के लिए उचित समय दिया जाना चाहिए।