जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा पर राजनीतिक दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बुधवार को संकेत दिया कि वह अमेरिका के साथ टैरिफ समझौते का अध्ययन करने के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने पर विचार करेंगे।
यह बयान उस समय आया है जब उनकी सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) और सहयोगी दल कोमितो को हाल ही में ऊपरी सदन के चुनावों में ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा है।
सत्ता से बाहर हुआ गठबंधन, बढ़ी राजनीतिक अस्थिरता
रविवार को हुए चुनाव में एलडीपी-कोमितो गठबंधन ने 248 सदस्यीय ऊपरी सदन में बहुमत खो दिया। इससे पहले अक्तूबर 2024 में गठबंधन निचले सदन में भी बहुमत से बाहर हो गया था। अब दोनों सदनों में बहुमत न होने के कारण सरकार की नीतिगत निर्णय क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित हुई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति जापान में गंभीर राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दे सकती है।
पार्टी और जनता से बढ़ा इस्तीफे का दबाव
हालांकि इशिबा ने सोमवार को स्पष्ट किया था कि वह तुरंत इस्तीफा नहीं देंगे और अमेरिका के साथ चल रही टैरिफ वार्ताओं जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम जारी रखेंगे, ताकि राजनीतिक खालीपन न आए। लेकिन उनके इस रुख के बाद पार्टी के भीतर और बाहर से इस्तीफे की मांग तेज हो गई।
अमेरिका-जापान टैरिफ समझौता बना निर्णायक मोड़
बुधवार को इशिबा ने अमेरिका के साथ हुए नए टैरिफ समझौते का स्वागत किया। इसके तहत जापानी कारों और अन्य उत्पादों पर अमेरिकी आयात शुल्क 25% से घटाकर 15% कर दिया गया है। इशिबा ने इसे “राष्ट्रीय हित में लिया गया कठिन निर्णय” बताते हुए कहा कि इससे रोजगार और निवेश को बल मिलेगा।
हालांकि, उन्होंने इस्तीफे को लेकर कोई स्पष्ट तारीख नहीं बताई, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे अगस्त में इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं।