– अमेरिकी टैरिफ युद्ध के बीच दुनिया की नज़र अब चीन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन पर टिकी है। यह दो दिवसीय सम्मेलन 31 अगस्त से चीन के तियानजिन शहर में होगा, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक ही मंच पर दिखाई देंगे।
अमेरिका को करारा जवाब?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हाल ही में भारत सहित कई देशों पर कड़े टैरिफ लगाने का ऐलान कर चुके हैं। ट्रंप ने साफ कहा है कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों को भारी-भरकम शुल्क का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में, तियानजिन में होने वाला यह सम्मेलन अमेरिका की नीतियों के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।
साझा घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर
सम्मेलन की मेजबानी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग करेंगे। उम्मीद है कि इस दौरान SCO देश एक साझा घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करेंगे और विकास रणनीति को मंजूरी देंगे। सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को मजबूत बनाने के उपाय भी चर्चा में रहेंगे। सूत्रों का मानना है कि इस घोषणा में अमेरिका की टैरिफ नीति पर कड़ा संदेश दिया जा सकता है।
भाग लेने वाले प्रमुख नेता
- नरेंद्र मोदी – प्रधानमंत्री, भारत
- व्लादिमीर पुतिन – राष्ट्रपति, रूस
- शी जिनपिंग – राष्ट्रपति, चीन
- मसूद पेज़ेशकियान – राष्ट्रपति, ईरान
- इशाक डार – उप प्रधानमंत्री, पाकिस्तान
- रेचेप तैयप एर्दोआन – राष्ट्रपति, तुर्की
- अनवर इब्राहिम – प्रधानमंत्री, मलेशिया
- एंटोनियो गुटेरेस – महासचिव, संयुक्त राष्ट्र
भारत-चीन संबंधों पर भी असर
भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने कहा कि पीएम मोदी की चीन यात्रा न सिर्फ SCO बल्कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए भी बेहद अहम होगी। चीन इस दौरे को उच्च प्राथमिकता दे रहा है और इसके लिए एक विशेष कार्य समूह सक्रिय है।
शक्ति संतुलन की जंग
विशेषज्ञ मानते हैं कि SCO के इस शिखर सम्मेलन के जरिए चीन अमेरिका को घेरने की कोशिश करेगा। चीन का दावा है कि यह संगठन “जीरो-सम गेम” की पुरानी सोच से अलग है और पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देता है। वहीं, अमेरिका दुनिया भर में टैरिफ युद्ध छेड़े हुए है। ऐसे में तियानजिन का यह सम्मेलन वैश्विक राजनीति में शक्ति संतुलन का नया संदेश दे सकता है।