एआई की दुनिया में अमेरिकी प्रभुत्व को तोड़ने में दुनिया के विभिन्न देशों के साथ अलीबाबा समेत चीन की दिग्गज कंपनियां भी लगी थीं, लेकिन इन सभी को पीछे छोड़ते हुए महज 29 वर्ष की इस जीनियस लड़की ने डीपसीक के रूप में कोडों के जरिये ऐसी कहानी रची, जिसका रहस्य जानने को आज हर कोई बेताब है।बात करीब छह साल पहले की है, जब चीन में अत्याधुनिक तकनीक पर विचार-विमर्श करने के लिए कई धुरंधर जुटे हुए थे। पीकिंग यूनिवर्सिटी में आयोजित एसोसिएशन फॉर कंप्यूटेशनल लिंग्विस्टिक्स (एसीएल) नामक सम्मेलन में मंच पर जब 23 वर्षीय दुबली-पतली लड़की पहुंची और उसने अपने आठ रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए, तो उसके विचार जानकर सब हैरत में पड़ गए कि यह जो बोल रही है, वह संभव हो भी सकता है या नहीं। वह लड़की कोई और नहीं, बल्कि लुओ फुली थीं, जिन्हें चीन के एआई चैटबॉट डीपसीक को विकसित करने में सबसे अहम किरदार माना जा रहा है। लुओ फुली दिखने में मासूम लगती हैं, लेकिन बुद्धिमत्ता के मामले में इनकी गिनती जीनियसों में होती है। डीपसीक यदि आज एआई क्षेत्र के अमेरिकी दिग्गज ओपनएआई के चैटजीपीटी, गूगल के जेमिनी, माइक्रोसॉफ्ट के सिडनी और मेटा के चैटबॉट्स को पीछे छोड़कर दुनिया भर में एपल के एप स्टोर चार्ट में शीर्ष पर पहुंच गया है, तो इसके पीछे लुओ फुली का ही दिमाग है।पांच फुट छह इंच लंबी और 55 किलोग्राम वजन वाली 29 वर्षीय लुओ फुली का पालन-पोषण एक साधारण माहौल में हुआ था। शुरुआत में फुली की रुचि कंप्यूटर विज्ञान में नहीं थी, लेकिन उनके पिता, जो इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे, की वजह से उन्होंने बीजिंग नॉर्मल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस कोर्स में दाखिला लिया। स्नातक करने के बाद उन्होंने पीकिंग विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री हासिल की।
लुओ फुली वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों को प्राथमिकता देने वाले अनुसंधान की ओर बदलाव की मजबूत पक्षधर हैं। वह व्यावहारिक और बड़े पैमाने पर इंजीनियरिंग परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर देती हैं।
वर्ष 2019 में पीकिंग यूनिवर्सिटी में हुए एसीएल सम्मेलन में लुओ फुली ने आठ शोध पत्र प्रस्तुत कर तकनीकी दिग्गजों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, क्योंकि एसीएल सम्मेलन नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (एनएलपी) से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण सभाओं में से एक है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की सबसे अहम कड़ी है एनएलपी। यदि एनएलपी को एआई की आत्मा कहें, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि एनएलपी ही इन्सान और मशीन (कंप्यूटर) के बीच भाषा सेतु का काम करती है। यही सभा फुली के कॅरिअर में मील का पत्थर साबित हुई।