Tuesday, August 26, 2025

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चमोली आपदा: बची जान, लेकिन अब रोटी–कपड़ा–मकान की चिंता; चेपड़ों में शुरू हुई सामुदायिक रसोई

चमोली ज़िले के थराली तहसील में 22 अगस्त की रात को आई भीषण आपदा ने कई परिवारों की जीवनभर की पूँजी छीन ली। लगभग 15 किलोमीटर क्षेत्र में कहर बरपाने वाली इस आपदा ने मकानों, दुकानों और सरकारी कार्यालयों को मलबे में तब्दील कर दिया। चेपड़ों कस्बे का हाल सबसे भयावह है। यहाँ सोमवार तक प्रशासन ने 96 प्रभावित परिवारों की सूची तैयार की है। इनमें से कई परिवार ऐसे हैं, जिनके घर और दुकान दोनों ही तबाह हो गए हैं।

रोज़गार और बच्चों की पढ़ाई पर संकट

लोअर थराली में भी बारह से अधिक दुकानें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। ऐसे में व्यापारियों के सामने सबसे बड़ी चिंता रोज़ी-रोटी की है। चेपड़ों बाजार में वीडियोग्राफी का काम करने वाले भरत सिंह बताते हैं कि उनकी दुकान ही परिवार का सहारा थी। सैलाब ने कंप्यूटर सहित पूरा सामान मलबे में दबा दिया। अब परिवार चलाने की चिंता सता रही है।

हार्डवेयर का कारोबार करने वाले दर्शन का कहना है कि वह डेढ़ दशक से यहाँ दुकान चला रहे थे। दुकान के सहारे ही बच्चों की पढ़ाई का खर्च निकलता था। अब कारोबार खत्म हो जाने से बच्चों की शिक्षा पर भी संकट खड़ा हो गया है। इसी तरह थोक एवं फुटकर व्यापारी लक्ष्मी प्रसाद जोशी ने बताया कि उनकी परचून की दुकान में 30 से 35 लाख रुपये का सामान था, जो पूरी तरह बर्बाद हो गया। “दुकान के सहारे ही घर चलता था, अब हम सड़क पर आ गए हैं,” वे कहते हैं।

किराये की दुकान चलाने वाली कमला देवी की स्थिति भी कम दयनीय नहीं है। उनका कहना है कि “दुकान में अब सिर्फ मलबा बचा है। आगे परिवार कैसे चलेगा, यही समझ नहीं आ रहा।” कई अन्य परिवार भी यही कह रहे हैं कि घर के बच्चों की पढ़ाई और बुजुर्गों की दवा का खर्च उठाना अब सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।

चेपड़ों में शुरू हुई सामुदायिक रसोई

आपदा प्रभावितों के लिए चेपड़ों के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में राहत शिविर बनाया गया है। सोमवार तक यहाँ प्रभावितों की संख्या 55 पहुँच गई। इनके भोजन की व्यवस्था के लिए प्रशासन ने सामुदायिक रसोई शुरू की है। तहसीलदार अक्षय पंकज ने बताया कि प्रशासन की ओर से खाद्यान्न और आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई गई है। ग्रामीण स्वयं मिलकर इस रसोई में भोजन बना रहे हैं।

दस्तावेज़ भी हुए नष्ट, पहचान पर संकट

आपदा ने न सिर्फ मकान और दुकानें उजाड़ी हैं बल्कि लोगों की पहचान भी छीन ली है। कोटडीप थराली क्षेत्र में बारह से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। यहाँ रहने वाले जय सिंह के परिवार के आधार कार्ड सहित बच्चों के दस्तावेज पूरी तरह नष्ट हो गए। 23 वर्षीय संदीप सिंह ने बताया कि उनके सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्र इस आपदा में गुम हो गए हैं। सावित्री देवी का कहना है कि घर का सारा सामान—कपड़े, जेवर तक—सैलाब बहाकर ले गया।

सरकारी दफ्तर भी तबाह

आपदा का असर सरकारी व्यवस्थाओं पर भी पड़ा है। थराली में संचालित जल संस्थान का अवर अभियंता कार्यालय मलबे में बदल गया। मलबे ने कार्यालय में रखी सरकारी सामग्री और महत्वपूर्ण दस्तावेज पूरी तरह नष्ट कर दिए।

भविष्य को लेकर गहरी चिंता

चेपड़ों और आसपास के इलाकों के लोग फिलहाल राहत शिविरों और सामुदायिक रसोई के सहारे दिन गुजार रहे हैं। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती भविष्य की है। मकान और दुकानें खो चुके लोग अब छत, रोज़गार और बच्चों की शिक्षा की चिंता में डूबे हुए हैं। आपदा ने उनकी ज़िंदगी की दिशा बदल दी है, और अब वे प्रशासन से दीर्घकालिक मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

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