Thursday, March 13, 2025

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ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों की भविष्यवाणी कठिन

ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों की भविष्यवाणी करना दुनिया के जलवायु शोधकर्ताओं के लिए सबसे कठिन कार्यों में से एक है। बारिश, ओले और बर्फीले तूफान, समुद्र के स्तर में वृद्धि और ग्लोबल वार्मिंग के अन्य अपेक्षित प्रभावों का कारण बनने वाली प्राकृतिक प्रक्रियाएं कई अलग-अलग कारकों पर निर्भर हैं। आने वाले दशकों में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के आकार की भविष्यवाणी करना भी मुश्किल है, क्योंकि यह राजनीतिक निर्णयों और तकनीकी प्रगति से प्रभावित हो सकता है।एक नए शोध से पता चला है कि लगभग 12 करोड़ साल पहले महाद्वीप के नीचे जोड़ने वाली टेक्टोनिक प्लेटों की गति में अचानक बदलाव आने से चीन के पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी तट पर पृथ्वी की ऊपरी परत मोटी हो गई जिससे समुद्र तल से 2,500 मीटर ऊपर की पर्वत श्रृंखलाएं बन गईं।मोनाश विवि के स्कूल ऑफ अर्थ, एटमॉस्फेयर एंड एनवायरनमेंट के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में बताया कि क्रेटेशियस काल के दौरान पौधों और वन्यजीवों के विकास पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव किस तरह पड़े। साइंस एडवांस में प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार भू-वैज्ञानिकों ने पहली बार इस बात का पता लगाया है कि पूर्वी एशिया में तटीय पर्वत कैसे बने, जिसकी वजह से 10 करोड़ साल से भी पहले महाद्वीप की जलवायु में भारी बदलाव हुए।लगभग 26 लाख वर्ष पहले क्वाटरनेरी काल में जलवायु में बहुत व्यापक और भारी परिवर्तन हुए हैं। इसकी वजह से ध्रुवों से बर्फ की चादरें पृथ्वी पर सामान्य रूप से समशीतोष्ण स्थानों पर फैल गईं। साक्ष्य दर्शाते हैं कि यद्यपि क्वाटरनेरी के दौरान वैश्विक शीतलन की एक प्रगतिशील दीर्घकालिक प्रवृत्ति रही है, लेकिन वैश्विक वार्मिंग के प्रकरणों से अलग कई अलग अलग हिमयुग या हिमनदियां भी पैदा हुई हैं जहां जलवायु वर्तमान समय की तुलना में बहुत अधिक गर्म या अधिक समशीतोष्ण थी।

शोधकर्ताओं का कहना है कि पर्वत श्रृंखलाओं के निर्माण से दुनिया भर के वायुमंडलीय प्रसार का पैटर्न बदल गया और क्षेत्र में बारिश में वृद्धि हुई। इस तरह के बदलावों ने धरती को बहुत ज्यादा प्रभावित किया और इस मामले में समुद्री इलाकों से दूर शुष्क क्षेत्रों में लगभग 15 फीसदी की वृद्धि हुई। इसके कारण रेगिस्तान का पूर्व की ओर विस्तार हुआ।

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