वॉशिंगटन/मॉसको: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ग्रीनलैंड को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अपरिहार्य बताकर वैश्विक कूटनीति के गलियारों में हलचल तेज कर दी है। ट्रंप के इस रुख ने न केवल डेनमार्क (जिसका ग्रीनलैंड एक स्वायत्त हिस्सा है) को असहज कर दिया है, बल्कि आर्कटिक क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहे रूस और चीन की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं। ट्रंप का मानना है कि रणनीतिक और संसाधनों की दृष्टि से ग्रीनलैंड का अमेरिका के नियंत्रण में होना बेहद जरूरी है।
क्यों अहम है ग्रीनलैंड? रणनीतिक और आर्थिक कारण
ग्रीनलैंड केवल बर्फ की चादर नहीं, बल्कि भविष्य के संसाधनों का भंडार है। ट्रंप के इरादों के पीछे निम्नलिखित प्रमुख कारण माने जा रहे हैं:
- आर्कटिक में प्रभुत्व: जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक की बर्फ पिघल रही है, जिससे नए समुद्री मार्ग खुल रहे हैं। ग्रीनलैंड पर नियंत्रण का अर्थ है इन व्यापारिक मार्गों पर सीधा प्रभाव।
- प्रचुर खनिज भंडार: ग्रीनलैंड में ‘रेयर अर्थ मेटल्स’ (दुर्लभ खनिज), कोयला, लोहा और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार मौजूद हैं। वर्तमान में इन खनिजों पर चीन का एकाधिकार है, जिसे अमेरिका तोड़ना चाहता है।
- मिसाइल डिफेंस सिस्टम: अमेरिका का ‘थुले एयर बेस’ (Thule Air Base) पहले से ही ग्रीनलैंड में स्थित है। यह बेस अमेरिका को रूस की ओर से आने वाली किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल की पूर्व चेतावनी देने में सक्षम है।
रूस और चीन की टेंशन की बड़ी वजह
ट्रंप की इस “रियल एस्टेट” कूटनीति ने मॉसको और बीजिंग को सतर्क कर दिया है:
- रूस की चिंता: रूस ने हाल के वर्षों में आर्कटिक में अपने सैन्य अड्डों को आधुनिक बनाया है। यदि अमेरिका ग्रीनलैंड में अपनी उपस्थिति बढ़ाता है, तो रूस का उत्तरी बेड़ा (Northern Fleet) सीधे अमेरिकी घेरे में आ जाएगा।
- चीन की ‘पोलर सिल्क रोड’: चीन खुद को एक ‘आर्कटिक के निकट’ का देश बताता है और इस क्षेत्र में निवेश के जरिए अपनी ‘पोलर सिल्क रोड’ विकसित करना चाहता है। अमेरिका का ग्रीनलैंड की ओर बढ़ता कदम चीन के इन आर्थिक मंसूबों पर पानी फेर सकता है।
डेनमार्क का रुख: “ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है”
डेनमार्क की सरकार और ग्रीनलैंड के स्थानीय नेतृत्व ने ट्रंप के इन इरादों को सिरे से खारिज कर दिया है। डेनमार्क ने स्पष्ट किया है कि ग्रीनलैंड एक स्वतंत्र क्षेत्र है जो डेनमार्क के साथ जुड़ा हुआ है और वह किसी बिक्री की वस्तु नहीं है। हालांकि, अमेरिका वहां अपनी सॉफ्ट पावर और कूटनीतिक निवेश बढ़ाने की कोशिश लगातार कर रहा है।
“ग्रीनलैंड को खरीदना एक पुराना विचार लग सकता है, लेकिन रणनीतिक रूप से यह अमेरिका के लिए 21वीं सदी का सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच साबित हो सकता है।” — अमेरिकी विदेश नीति विशेषज्ञ





