पश्चिम अफ्रीकी देश गिनी में सैन्य शासन खत्म करने के बाद अब लोकतंत्र लागू करने की तैयारी हो रही है। गिनी के सैन्य जुंटा (सत्ता चलाने वाली समिति) ने सितंबर में होने वाले सांविधानिक जनमत संग्रह और दिसंबर में होने वाले आम और राष्ट्रपति चुनाव के लिए निकाय का गठन किया है। यह निकाय चुनाव प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगा। जुंटा नेता जनरल मामादी डौम्बौया ने एक आदेश में एलान किया कि चुनाव महानिदेशालय (डीजीई) अन्य कर्तव्यों के अलावा, चुनावों के आयोजन, मतदाता सूची के प्रबंधन और चुनावी निष्पक्षता के लिए जिम्मेदार होगा। संस्था के दो प्रमुखों की नियुक्ति राष्ट्रपति के आदेश से की जाएगी। यह निकाय उप-क्षेत्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय चुनावी निकायों में गिनी का प्रतिनिधित्व भी करेगा।गिनी में सत्ता सेना के हाथ में है। यहां सेना ने नागरिक शासन की वापसी में देरी की है। 2021 से सत्ता में काबिज जनरल मामादी डौम्बौया ने 31 दिसंबर 2024 की समयसीमा के बाद लोकतांत्रिक परिवर्तन शुरू करने पर सहमति जताई थी। सत्तारूढ़ जुंटा के समय सीमा का पालन न करने पर विपक्ष ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके कारण जनवरी में गिनी की राजधानी कोनाक्री में जनजीवन ठप हो गया था।
पिछले महीने प्रधानमंत्री अमादौ ओरी बाह ने कहा था कि आम और राष्ट्रपति चुनाव दिसंबर 2025 में होंगे। उन्होंने 21 सितंबर को एक नया संविधान अपनाने के लिए जनमत संग्रह का भी एलान किया। अब जब चुनाव का एलान हो गया है तो विश्वसनीयता को लेकर चिंता बढ़ रही है। सैन्य शासन ने पिछले साल 50 से अधिक राजनीतिक दलों को भंग कर दिया था। दावा किया गया था कि यह कदम राजनीतिक बिसात को साफ करने के लिए उठाया गया था।