Thursday, December 25, 2025

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गायत्री तीर्थ शांतिकुंज का शताब्दी समारोह

गायत्री परिवार के प्रमुख केंद्र गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के शताब्दी समारोह की तैयारियाँ इस समय पूरे जोरों पर हैं। इसी क्रम में बुधवार को होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राज्यपाल बैरागी कैंप पहुंचे। राज्यपाल की यह उपस्थिति कार्यक्रम को न केवल औपचारिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है, बल्कि शांतिकुंज की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है।

कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के बाद राज्यपाल का पारंपरिक स्वागत किया गया, जिसमें शांतिकुंज के प्रतिनिधियों और गायत्री परिवार के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पुष्पमालाओं और मंत्रोच्चार के साथ उनका अभिवादन किया। भूमि पूजन से पूर्व राज्यपाल ने शांतिकुंज द्वारा संचालित समाजोपयोगी अभियानों, सांस्कृतिक जागरण के कार्यों और जनकल्याण गतिविधियों की जानकारी भी ली। उन्होंने कहा कि शांतिकुंज ने न केवल आध्यात्मिकता के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक सुधार आंदोलनों में भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

भूमि पूजन के दौरान विधि-विधान के साथ हवन, मंत्रोच्चार और पूजा-अर्चना संपन्न की गई। पुजारियों ने शास्त्रीय विधि के अनुसार कार्यक्रम का संचालन किया, जिसमें राज्यपाल ने भी आहुतियाँ दीं। समारोह का वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक गरिमा से परिपूर्ण दिखाई दिया। इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं और पदाधिकारियों ने शताब्दी वर्ष के आयोजन को ऐतिहासिक बनाने का संकल्प भी दोहराया।

शांतिकुंज प्रबंधन के अनुसार, शताब्दी समारोह के तहत कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ शुरू की जा रही हैं, जिनमें आध्यात्मिक शिक्षा, अनुसंधान केंद्रों के विस्तार, और समाज-निर्माण से जुड़े अभियानों की नई श्रृंखलाएँ शामिल हैं। भूमि पूजन इसी व्यापक योजना का प्रमुख चरण है, जिसके माध्यम से आने वाले वर्षों में शांतिकुंज की गतिविधियाँ और भी विस्तृत रूप लेंगी।

राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि शांतिकुंज ने पिछले सौ वर्षों में समाज को जागरूक, शिक्षित और संस्कारित करने की अनूठी परंपरा स्थापित की है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि शताब्दी समारोह नई प्रेरणाएँ देगा और युवा पीढ़ी को नैतिक मूल्यों तथा सकारात्मक जीवन दृष्टि अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।

कार्यक्रम के समापन पर उपस्थित लोगों ने राज्यपाल की यात्रा के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि उनके आने से आयोजन की गरिमा और महत्व और अधिक बढ़ गया है। आने वाले महीनों में शताब्दी समारोह से जुड़े कई कार्यक्रम हरिद्वार और देशभर में आयोजित किए जाएंगे, जिनमें लाखों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।

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