गाजा पट्टी में इस्राइली हमलों और खाद्य आपूर्ति पर लगे प्रतिबंधों के कारण हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं। लाखों फलस्तीनी भुखमरी और कुपोषण की चपेट में हैं, जिनमें बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत फ्रांसेस्का अल्बानीज ने इसे एक नरसंहार की संज्ञा देते हुए वैश्विक समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है।
कुपोषण का संकट गहराया
संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी (UNRWA) की रिपोर्ट के मुताबिक, जून में पांच साल से कम उम्र के लगभग 16,000 बच्चों की जांच की गई, जिनमें से 10.2% गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार पाए गए। जबकि मार्च में यह आंकड़ा 5.5% था।
यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट भी गंभीर तस्वीर पेश करती है। उसके अनुसार, जून में 5,870 कुपोषण के मामले दर्ज हुए, जो फरवरी के 2,000 मामलों से दोगुना से अधिक है। हालात इतने गंभीर हैं कि गाजा के 20 लाख से अधिक नागरिक भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं।
हवाई हमले जारी, 90 से अधिक लोगों की मौत
इस्राइली हमलों में गाजा में लगातार नागरिकों की जान जा रही है। हाल ही में गाजा शहर के तेल अल-हवा इलाके में एक घर पर बमबारी में 19 लोगों की मौत हुई, जिनमें 8 महिलाएं और 6 बच्चे शामिल थे।
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में 93 शव अस्पतालों में लाए गए और 278 लोग घायल हुए हैं। हमलों में हमास के वरिष्ठ सदस्य मोहम्मद फराज अल-घोल सहित एक ही परिवार के कई सदस्य मारे गए।
फ्रांसेस्का अल्बानीज का वैश्विक अपील
संयुक्त राष्ट्र की दूत फ्रांसेस्का अल्बानीज ने कोलंबिया में आयोजित सम्मेलन में कहा:
“हर देश को इस्राइल के साथ अपने संबंधों की तत्काल समीक्षा करनी चाहिए और उन्हें निलंबित करना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि निजी कंपनियां भी ऐसे संबंध खत्म करें, जो इस कब्जे और अब नरसंहार को सहयोग दे रही हैं।”
हेग समूह और दक्षिणी देशों की भूमिका
इस सम्मेलन की सह-अध्यक्षता दक्षिण अफ्रीका और कोलंबिया ने की, जिसमें हेग समूह के 8 देशों ने भी भाग लिया। इन देशों ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) द्वारा इस्राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट के पालन की प्रतिबद्धता जताई है।
दक्षिण अफ्रीका के प्रवक्ता क्रिसपिन फिरी ने कहा:
“यह मान्यता अब स्वीकार्य नहीं कि अंतरराष्ट्रीय कानून सिर्फ कमजोर और दक्षिणी देशों पर ही लागू हो। कानून सभी के लिए समान होना चाहिए।”
गाजा में मानवता आज एक कठिन दौर से गुजर रही है। बच्चों का कुपोषण, नागरिकों की मौत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी एक ऐसा समीकरण बन गया है जिसे बदलने की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र और कई देशों की चेतावनियों के बावजूद यदि इस्राइल के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट और भी भयावह हो सकता है।
यह समय है, जब दुनिया को एकजुट होकर नरसंहार को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई करनी होगी, ना कि केवल बयानबाजी पर निर्भर रहना चाहिए।