नई दिल्ली: रूस की राजधानी मॉस्को स्थित राष्ट्रपति निवास (क्रेमलिन) पर हुए कथित यूक्रेनी ड्रोन हमले के बाद उपजे तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ा रुख अपनाया है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि हिंसा और हमलों के जरिए किसी भी विवाद का हल नहीं निकाला जा सकता। उन्होंने दोनों देशों से अपील की है कि वे ऐसा कोई भी कदम न उठाएं जिससे स्थिति बेकाबू हो जाए और मानवीय संकट गहरा जाए।
“बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक बयान में शांति का संदेश देते हुए कहा कि भारत शुरू से ही इस स्टैंड पर कायम है कि समस्याओं का समाधान केवल संवाद के माध्यम से ही संभव है। उन्होंने जोर देकर कहा:
- तनाव न बढ़ाएं: दोनों पक्ष संयम बरतें और ऐसी सैन्य कार्रवाई से बचें जो सीधे तौर पर शासन के शीर्ष केंद्रों (Command Centers) को निशाना बनाती हो।
- वैश्विक स्थिरता: पीएम ने आगाह किया कि इस तरह के हमलों से वैश्विक अर्थव्यवस्था और सुरक्षा ढांचा चरमरा सकता है, जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है।
पुतिन के घर पर क्या हुआ था?
रूसी सरकार के अनुसार, यूक्रेन ने राष्ट्रपति पुतिन की हत्या के इरादे से क्रेमलिन पर दो ड्रोन के जरिए हमला करने की कोशिश की थी। हालांकि, रूसी सुरक्षा तंत्र ने इन ड्रोनों को समय रहते मार गिराया। इस घटना के बाद रूस ने इसे ‘आतंकवादी कृत्य’ करार दिया है, जबकि यूक्रेन ने इन आरोपों से इनकार किया है।
भारत की निष्पक्ष और सक्रिय भूमिका
भारत ने इस युद्ध में अब तक किसी भी पक्ष का समर्थन न करते हुए मानवीय दृष्टिकोण और शांति की वकालत की है। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले भी राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बातचीत के दौरान कहा था कि “यह युद्ध का युग नहीं है।” इसी नीति को आगे बढ़ाते हुए भारत ने एक बार फिर दोनों देशों को ‘शांति की मेज’ पर आने का सुझाव दिया है।
संपादकीय टिप्पणी: प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दुनिया दो गुटों में बंटी नजर आ रही है। भारत की यह संतुलित अपील न केवल वैश्विक शांति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) की आवाज को भी मजबूती प्रदान करती है।





