तमिलनाडु भर में कोयंबटूर सीट सबसे अधिक चर्चा में है। जनसंख्या के हिसाब से राज्य में दूसरा सबसे बड़ा और दक्षिण का मैनचेस्टर कहा जाने वाला शहर चेर व चोल वंश का शानदार इतिहास समेटे हुए है। चुनावी बाजीगरी सफल रही, तो इस बार नया इतिहास लिख सकता है। असल में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, आईआईएम लखनऊ के पासआउट और पूर्व आईपीएस अफसर 40 साल के के. अन्नामलाई चुनावी मैदान में हैं। इंटरनेट पर उनके भाषण और कर्नाटक में बतौर आईपीएस उनके किए कामों को देख व पढ़ लाखों युवा उनसे प्रभावित हैं। तमिल हिंदू, ईसाई, यहां तक की मुस्लिम वर्ग के युवाओं में भी इनकी फैन फॉलोइंग है। तमिल राजनीति में शुरू से ही व्यक्ति-पूजा का माहौल रहा है। पूर्व सीएम लीजेंड एमजीआर या जयललिता हों या एक्टर रजनीकांत व कमल हसन, लोगों ने इस कदर चाहा कि इनके मंदिर बनाए और जो राजनीति में उतरा उसे वोट भी दिए। भाजपा को लंबे समय बाद एक ऐसी तमिल शख्सियत मिली है, जिसे लोग सुनने आ रहे हैं। अन्नामलाई राष्ट्रीय उपलब्धियों के साथ-साथ तमिल मुद्दों को भी ताकत से उठा रहे हैं, इसलिए द्रविड़ राजनीति कर रहीं द्रमुक-अन्नाद्रमुक के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं। यही वजह है कि यहां द्रमुक प्रमुख स्टालिन ने खुद मोर्चा संभाल रखा है।