फ्लोरिडा/वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के बीच हुई बहुप्रतीक्षित मुलाकात ने वैश्विक राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। बैठक के बाद ट्रंप ने स्पष्ट किया कि उन्होंने यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए कोई निश्चित ‘समय सीमा’ (डेडलाइन) तय नहीं की है, बल्कि उनका पूरा ध्यान इस विनाशकारी संघर्ष को जल्द से जल्द और शांतिपूर्ण तरीके से रोकने पर केंद्रित है।
मैराथन बैठक और शांति का रोडमैप
ट्रंप के मार-ए-लागो रिसॉर्ट में हुई इस उच्च स्तरीय वार्ता में युद्ध की वर्तमान स्थिति और भविष्य के कूटनीतिक समाधानों पर विस्तार से चर्चा हुई।
- रणनीतिक चर्चा: बैठक के दौरान जेलेंस्की ने यूक्रेन की ‘विक्ट्री प्लान’ (जीत की योजना) का ब्यौरा साझा किया, जबकि ट्रंप ने युद्ध के कारण हो रहे आर्थिक और मानवीय नुकसान पर चिंता जताई।
- ट्रंप का रुख: ट्रंप ने दोहराया कि वे रूस और यूक्रेन दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर लाने के लिए अपनी व्यक्तिगत क्षमता और कूटनीतिक प्रभाव का उपयोग करेंगे।
डेडलाइन के सवाल पर ट्रंप की दोटूक
मुलाकात के बाद जब पत्रकारों ने ट्रंप से पूछा कि क्या उन्होंने युद्ध खत्म करने के लिए कोई तारीख तय की है, तो उन्होंने कहा:
- समाधान प्राथमिकता: “हम किसी कैलेंडर तिथि के पीछे नहीं भाग रहे हैं। हमारा लक्ष्य एक ऐसा न्यायपूर्ण समझौता करना है जो टिकाऊ हो।”
- जल्द अंत की कोशिश: ट्रंप ने विश्वास जताया कि उनके कार्यभार संभालने के बाद स्थितियां तेजी से बदलेंगी और वे ’24 घंटे के भीतर’ युद्ध रुकवाने के अपने पुराने दावे पर अभी भी अडिग हैं, हालांकि इसके लिए वे कोई दबाव वाली डेडलाइन नहीं देना चाहते।
जेलेंस्की ने जताई सकारात्मक उम्मीद
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इस मुलाकात को ‘बेहद सार्थक’ बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका का नेतृत्व यूक्रेन की संप्रभुता को बनाए रखने और रूस की आक्रामकता को रोकने के लिए अनिवार्य है।
- हथियारों की आपूर्ति: चर्चा में भविष्य की सैन्य सहायता और सुरक्षा गारंटियों पर भी विचार-विमर्श किया गया।
- यूरोपीय सुरक्षा: दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि यूक्रेन में शांति केवल इस क्षेत्र के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया और विशेष रूप से यूरोप की स्थिरता के लिए आवश्यक है।
राजनीतिक विश्लेषक का मत: “ट्रंप का ‘कोई डेडलाइन नहीं’ कहना यह संकेत देता है कि वे पर्दे के पीछे रूस के साथ भी बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहते हैं। यह मुलाकात संकेत है कि आने वाले महीनों में वैश्विक कूटनीति का केंद्र वाशिंगटन रहने वाला है।”





