Wednesday, November 19, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

कल मणिपुर पहुंचेंगे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत; मई 2023 की जातीय हिंसा के बाद यह उनका पहला दौरा

इम्फाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत कल, 20 नवंबर, मणिपुर का तीन दिवसीय दौरा करेंगे। यह उनकी पहली यात्रा है, जब मई 2023 में वहां भड़की जातीय हिंसा के बाद से उन्होंने राज्य का दौरा किया है।

दौरे का एजेंडा और मकसद

  • भागवत की यह यात्रा आरएसएस की 100वीं वर्षगांठ(centenary celebrations) के आयोजन के संदर्भ में है।
  • तीन दिनों के इस प्रवास के दौरान वे नागरिकों, उद्यमियोंऔर जनजातीय समुदायों (पहाड़ी / आदिवासी नेताओं) के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे।
  • पहली दिन (20 नवंबर) को उनका कार्यक्रम इम्फाल के कोंजेंग लाइकाई (Konjeng Leikai)में है, जहां वे स्थानीय उद्यमियों और प्रमुख हस्तियों के साथ बातचीत करेंगे।
  • दूसरे दिन, 21 नवंबर, भागवत आदिवासी (जनजातीय) नेताओं से मणिपुर की पहाड़ी ज़िलों में मुलाकात करेंगे।
  • यात्रा में वर्तमान में विस्थापित शरणार्थी शिविरों का दौरा शामिल नहीं है, आरएसएस के पदाधिकारी ने बताया कि यह “आंतरिक संगठनात्मक कार्यक्रम” के रूप में अधिक है।

पृष्ठभूमि: मणिपुर में जातीय हिंसा

  • मणिपुर में मई 2023 से मेइतेई (Meitei)और कुकीज़ो (Kuki-Zo) समुदायों के बीच तीव्र संघर्ष खड़ा है, जिससे सैकड़ों लोगों की मौत हुई है और हजारों विस्थापित हुए हैं।
  • इस हिंसा ने राज्य में सुरक्षा और सामाजिक सामंजस्य की “गहरी दरार” पैदा कर दी है, और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर संवेदनशील कदम उठाना पड़ा है।

महत्व और संभावित असर

  • संकेतों की भाषा: भागवत की यह यात्रा सिर्फ एक औपचारिक दौरा नहीं, बल्कि आरएसएस की मणिपुर में अपनी उपस्थिति और भूमिका फिर से स्थापित करने का संकेत माना जा रहा है, खासकर हिंसा-पीड़ितों और स्थानीय समुदायों के साथ संवाद के जरिए।
  • शांति और पुनर्स्थापनात्मक संदेश: आदिवासी नेताओं और स्थानीय लोगों से मुलाकात यह संदेश देती है कि आरएसएस मणिपुर की सामाजिक-राजनीतिक चुनौतियों को गंभीरता से देख रहा है और पुनर्स्थापनात्मक संवाद को बढ़ावा देना चाहता है।
  • राजनीतिक परिप्रेक्ष्य: मणिपुर में यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब राज्य में संवेदनशील जातीय गतिरोध है। आरएसएस के प्रमुख के आने से यह भी देखा जाएगा कि उनकी जातीय सियासत पर क्या रणनीति है और उनका संगठन भविष्य में मणिपुर की राजनीति में किस तरह भागीदारी करना चाहता है।
  • संस्थागत संतुलन: यात्रा यह संकेत देती है कि आरएसएस अपनी “संस्थागत पहचान” को मजबूत करते हुए राज्य-स्तर के मुद्दों में सक्रिय रहने की रणनीति अपना रहा है।

Popular Articles