बुधवार को राजस्थान महाराणा प्रताप प्रौदोगिकी व कृषि विवि राजस्थान व उत्तराखंड मुक्त विश्वविदयालय के बीच शोध व नवाचार को लेकर एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुए. जिसमें यह तय किया गया कि दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शोध व नए प्रयोगों का आदान-प्रदान होगा जिसका लाभ दोनों विश्वविदयालयों के विद्आर्थी व शिक्षकों को मिल सकेगा। इस मौके पर विशिष्ठ अतिथि सोबन सिंह जीना विश्वविदयालय के पूर् कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी ने कहा कि इस तरह के करार से शिक्षार्थियों को एक बड़ा फलक मिल पाएगा जिससे उनके लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। समझौता कार्यक्रम के बहाने प्रो. अजीत कर्नाटक ने बहुत विस्तार के साथ पूरे देश के कृषि परिदृश्य पर बात रखी। उन्होंने कहा कि बीजो से पैदावार बढ़ाने को लेकर देश भर में बहुत काम हो रहा है लेकिन पेस्टिसाइड्स के अधिक इस्तेमाल को हमें रोकना होगा। हमें हरित क्रांति के दुष्प्रभावों को देखना होगा उसी के अनुसार आगे की रणीतियां बनानी होंगी। उन्होंने कहा कि उनके विश्वविद्यालय ने 14 से अधिक विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ करार किया हुआ है जिससे अभी तक 5 विद्यार्थी विदेश में पढ़ने जा चुके हैं. उन्होंने उत्तराखंड मुक्त विवि की सराहना करते हुए कहा कि यहां पर आईसीटी व शिक्षार्थियों के लिए पाठ्यसामग्री बहुत अच्छी व गुणवत्ता की तैयार की जा रही हैं जिसका लाभ निश्चय ही उनके विवि के विद्यार्थी ले पाएंगे. उन्होंने अपने विवि के बारे में बताते हुए कहा कि मोटा अनाज व आईएसओ सर्टिफिकेशन के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य के लिए उनके विवि को राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित किया गया है. उन्होंने कहा कि देश की 65 फीसद जनसंख्या आज भी सीधे तर पर खेती से जुड़ी है ऐसे में कृषि के क्षेत्र में शोध व नवाचार की बहुत आवश्यकता है. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ पी.ए,. नेगी ने विश्वविदयालय के कार्यों पर एक पीपीटी प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय में विज्ञान विद्शाखा के निदेशक प्रो. पी.डी. पंत ने व विवि के कुलसचिव खीमराज भट्ट ने सभी का आभार व्यक्त किया. इस मौके पर विश्वविद्यलाय के प्रो. मंजरी अग्रवाल, प्रो. डिगर सिंह फरस्वाण, डा. कलपना लखेड़ा पाटनी, डा. रंजू जोशी, प्रो, राकेश चन्द्र रयाल समेत सभी अकादमिक स्टाफ मौजूद रहा।