Thursday, December 18, 2025

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किसानों की शिकायत पर भड़के ट्रंप, भारतीय चावल और कनाडाई खाद पर नए टैरिफ लगाने के संकेत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किसानों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीतियों को सख्त करने के संकेत दिए हैं। हाल ही में किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने ट्रंप प्रशासन के सामने विदेशी कृषि उत्पादों के बढ़ते आयात को लेकर असंतोष जताया था। उनका कहना था कि भारतीय चावल और कनाडा से आने वाली खाद (फर्टिलाइज़र) के आयात ने घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है, जिससे अमेरिकी किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

किसानों की इन शिकायतों के बाद ट्रंप ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा कि उनकी सरकार अमेरिकी किसानों के हितों की रक्षा के लिए “कड़े कदम उठाने” पर विचार कर रही है। उन्होंने स्पष्ट संकेत दिए कि भारत से आने वाले चावल और कनाडाई खाद पर नए टैरिफ लगाए जा सकते हैं। ट्रंप ने कहा कि विदेशी उत्पादों पर नियंत्रण न होने से घरेलू उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ता है और अमेरिकी किसान इससे गहरा प्रभावित होते हैं। इसलिए आवश्यक हुआ तो आयात ड्यूटी बढ़ाई जाएगी।

ट्रंप ने दावा किया कि उनका प्रशासन “फेयर ट्रेड” के सिद्धांत पर काम कर रहा है, और यदि कोई देश अमेरिकी बाजार में सस्ते उत्पादों की बाढ़ ला रहा है, तो उसे संतुलित करने के लिए टैरिफ लगाना ही उचित विकल्प है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी किसान विश्वस्तरीय उत्पादन करते हैं, लेकिन विदेशी सब्सिडी वाले उत्पाद बाजार को असंतुलित कर देते हैं। ऐसे में सरकार का हस्तक्षेप जरूरी हो जाता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत और कनाडा पर नए टैरिफ लगाए गए, तो वैश्विक व्यापार समीकरण में तनाव बढ़ सकता है। विशेष रूप से भारत के साथ कृषि उत्पादों में व्यापार पहले से ही बढ़ रहा है, और इस तरह की नीति दोनों देशों के बीच नए विवाद खड़े कर सकती है। वहीं कनाडा के साथ भी अमेरिका के व्यापारिक संबंध पहले से उतार-चढ़ाव में रहे हैं।

हालांकि, व्यापार विश्लेषक यह भी कहते हैं कि अमेरिकी प्रशासन द्वारा उठाए जाने वाले किसी भी कदम को लागू होने में समय लगेगा, क्योंकि यह निर्णय बहुपक्षीय समझौतों और घरेलू अनुमोदनों से भी जुड़ा है। फिर भी, ट्रंप के बयान ने इतना जरूर स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले महीनों में कृषि व्यापार पर नए नियम और कठोर नीति परिवर्तनों की संभावना बढ़ गई है।

अमेरिकी किसान फिलहाल सरकार की इस संभावित पहल को सकारात्मक संकेत मान रहे हैं, लेकिन वैश्विक बाजार इस घोषणा को सतर्क निगाहों से देख रहा है।

 

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