Thursday, March 13, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

कार्बन उत्सर्जन से समुद्र का स्तर 1.9 मीटर बढ़ने का खतरा

अगर वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की दर में वृद्धि जारी रहती है और दुनिया उच्च उत्सर्जन परिदृश्यों की ओर बढ़ती है तो 2100 तक समुद्र का स्तर 0.5 से 1.9 मीटर तक बढ़ सकता है। यह अनुमान संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा वैश्विक अनुमान (0.6 से 1.0 मीटर) से 90 सेंटीमीटर अधिक है। यह निष्कर्ष सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और नीदरलैंड की डेल्फ्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं के अध्ययन में सामने आया है।शोधकर्ताओं के अनुसार समुद्र स्तर में वृद्धि का तात्पर्य पृथ्वी के केंद्र से मापी गई महासागर की सतह की औसत ऊंचाई में वृद्धि से है। यह घटना मुख्य रूप से दो मुख्य कारकों द्वारा संचालित होती है। ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों का पिघलना और गर्म होने पर समुद्री जल का थर्मल विस्तार। जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक तापमान बढ़ने के साथ ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ की चादरें तेजी से पिघल रही हैं जो समुद्र के स्तर में वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। इसके अतिरिक्त जैसे-जैसे समुद्री जल गर्म होता है, यह फैलता है जिससे समुद्र का स्तर और बढ़ जाता है। समुद्र के स्तर में यह वृद्धि जलवायु परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण संकेतक है जिसका तटीय समुदायों, पारिस्थितिकी तंत्रों और दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।संयुक्त राष्ट्र ने 2023 में भारत, चीन,बांग्लादेश और नीदरलैंड को बढ़ते समुद्री स्तर के कारण उच्च जोखिम वाले देशों के रूप में चिन्हित किया है। जहां निचले तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 900 मिलियन लोग गंभीर खतरे में हैं। पृथ्वी के इतिहास में समुद्र के स्तर में काफी उतार-चढ़ाव आए हैं, लेकिन वर्तमान दर अभूतपूर्व है। इसलिए इसे नजरअंदाज करना उचित नहीं होगा।
• 1900 के बाद से वैश्विक औसत समुद्र स्तर में लगभग 15-20 सेमी की वृद्धि हुई हैै। यह वृद्धि मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण है, जो जीवाश्म ईंधन के जलने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि के कारण होता है।
समुद्र का बढ़ता स्तर सड़कों, पुलों और इमारतों सहित बुनियादी ढांचे को खतरे में डालता है। तटीय बाढ़ से कटाव बढ़ता है और मीठे पानी के स्रोतों में खारे पानी का प्रवेश होता है, जो पेयजल और कृषि उत्पादकता को प्रभावित करता है।

Popular Articles