केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संस्थागत मध्यस्थता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। दिल्ली में एक सम्मेलन में मंत्री ने यह भी कहा कि संगठनों को समय की आवश्यकता के अनुसार लचीला और कठोर बनने के लिए तैयार रहना चाहिए। ताकि उनके हित सुरक्षित रहें और वे राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकें। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि अधिकारियों को जोखिम उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। अपने संगठन के वित्तीय हितों के लिए प्रचलित रास्ते पर नहीं चलना चाहिए। उन्होंने अफसोस जताया कि मध्यस्थता भारतीय संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन कहीं न कहीं यह अवधारणा विफल हो गई है और अन्य देश अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के केंद्र बन गए। उन्होंने आशा जताई कि भारत शीघ्र ही अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का नया केंद्र बनकर उभरेगा। सम्मेलन में ओएनजीसी के चेयरमैन अरुण कुमार सिंह ने कहा कि समय ही धन है, इसलिए मध्यस्थता की प्रक्रिया को समयबद्ध बनाने की जरूरत है। वाणिज्यिक विवादों का समयबद्ध तरीके से निपटारा करना व्यापार तंत्र के लिए आवश्यक है। साथ ही मध्यस्थता को अधिक कॉर्पोरेट और कम कानूनी बनाना चाहिए।
अरुण कुमार सिंह ने कहा कि विवाद के मुख्य तीन कारण होते हैं। पहला अधिकारियों का अत्यधिक रूढ़िवादी होना, जो अपनी जान बचाने के लिए जिम्मेदारी दूसरे पर डाल देते हैं। दूसरा विक्रेताओं का अत्यधिक आशावादी होना, जो कम बोली पर ठेके ले लेते हैं और बाद में काम पूरा करने में विफल हो जाते हैं और स्थिति से बचने के लिए विवाद पैदा करते हैं। जबकि तीसरा अनुबंधों में कठोरता, जो कार्य को पूरा करना कठिन बना देती है।
विधि सचिव अंजू राठी राणा ने कहा कि सरकार मध्यस्थता और मध्यस्थता प्रक्रियाओं को तेज और आसान बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने विधि मामलों के विभाग के निर्देश का उल्लेख किया, जिसमें न्यायिक हस्तक्षेप को कम करने, मध्यस्थता के स्थान पर संस्थागत मध्यस्थता का प्रयोग करने पर जोर दिया गया है।