Thursday, January 9, 2025

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कांग्रेस ने 25 लाख रुपये के मुफ्त इलाज का किया वादा

कांग्रेस ने दिल्ली में बड़ी चुनावी वादा किया है। पार्टी ने कहा है कि दिल्ली में वह हर परिवार को 25 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराएगी। पार्टी ने इसे ‘जीवन रक्षा योजना’ का नाम दिया है। राजस्थान में अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए इस तरह की योजना पेश की थी जो बहुत लोकप्रिय रही थी। कोरोना काल में लोगों का बेहतर इलाज कराने के लिए गहलोत सरकार ने ‘भीलवाड़ा मॉडल’ पेश किया था। अब उसी तर्ज पर कांग्रेस ने दिल्ली में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का वादा किया गया है। इसे केजरीवाल-आतिशी सरकार के स्वास्थ्य मॉडल का बेहतर विकल्प बताया जा रहा है। इस योजना में लोगों के अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद घर पर स्वास्थ्य लाभ लेने के दौरान दवाओं का खर्च भी दिया जाता है। कांग्रेस का वादा है कि सत्ता में आने पर वह इसी तरह की सुविधा दिल्ली में भी हर परिवार को उपलब्ध कराएगी। कांग्रेस ने पहले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को बुलाकर दिल्ली में महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये देने का वादा किया था। इसे आम आदमी पार्टी के 2100 रुपये हर महीने देने के वादे का जवाब माना जा रहा था। आज पार्टी ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली लाकर एक और बड़ी घोषणा करवा दी। पार्टी की इस रणनीति से वह दिल्ली की चुनावी लड़ाई में मजबूत खिलाड़ी बनकर उभरती दिख रही है। खुद अशोक गहलोत ने इस योजना की घोषणा करते हुए कहा कि यह योजना लोगों को बहुत पसंद आएगी क्योंकि यह उन्हें बड़ी सुरक्षा प्रदान करेगी। लेकिन कांग्रेस एक साथ दोहरी रणनीति अपना रही है। एक तरफ वह दिल्ली के मतदाताओं के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर वह उन्हें अपने पक्ष में मोड़ने में लगी है, वहीं पार्टी ने अघोषित तौर पर अरविंद केजरीवाल पर सीधे ज्यादा आक्रामक न होने की रणनीति अपना ली है। पार्टी के अंदरखाने इसे उसकी राष्ट्रीय राजनीतिक मजबूरी बताया जा रहा है। लेकिन दिल्ली के कार्यकर्ता ये कहने से गुरेज नहीं कर रहे हैं कि ऐसी स्थिति में दिल्ली में कांग्रेस को मजबूत करना असंभव हो जायेगा। कांग्रेस की इस मजबूरी का कारण क्या है? कांग्रेस ने जिस तरह अजय माकन को सामने लाकर केजरीवाल पर आक्रामक चुनाव अभियान शुरू किया था, उससे अचानक ही दिल्ली के गरियारों में यह चर्चा होने लगी थी कि कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए बेचैन है। केजरीवाल को ‘देशद्रोही’ तक कह देने से अजय माकन और कांग्रेस के मजबूत इरादे साफ दिखाई दे रहे थे। लेकिन माना जा रहा है कि अचानक ही कांग्रेस ढीली पड़ गई। उसने अपने आक्रामक रुख वाले नेता अजय माकन को पीछे खींच लिया।

दरअसल, केजरीवाल को भी पता है कि उनके वोट बैंक में पांच फीसदी की कमी भी होती है और कांग्रेस मजबूत होती है तो दिल्ली की लड़ाई में वे कमजोर पड़ सकते हैं। उनके हाथ से सत्ता फिसल सकती है। इसका सीधा फायदा भाजपा को हो सकता है। लेकिन अजय माकन के आरोपों से तिलमिलाई आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से बाहर निकालने की मांग तक कर डाली। इसके लिए उसने इंडिया गठबंधन के अन्य दलों से बात करने की बात भी कर दी। ममता बनर्जी के इंडिया गठबंधन को लीड करने की महत्त्वाकांक्षा के बीच यह मुहिम कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकती थी। माना जाता है कि इसके बाद ही कांग्रेस के हाथ-पांव फूल गए। माना यही जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेताओं के इशारे पर अजय माकन को अपनी तलवार वापस म्यान में रखनी पड़ी। लेकिन पार्टी नेतृत्व के इस फैसले के साथ ही पार्टी को दिल्ली में मजबूत करने का दावा टांय-टांय फिस्स होता दिखाई दे रहा है।

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