Saturday, December 21, 2024

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कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की जारी की सूचि

राजधानी दिल्ली में हुई कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में छत्तीसगढ़ की सीटों के उम्मीदवारों को लेकर भी मंथन हुआ। राज्य की चार सीटों पर नाम तय हो गए हैं। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनाव लड़ेंगे। वहीं, जांजगीरचांपा सीट से शिव डहरिया, कोरबा से ज्योत्सना महंत और दुर्ग से राजेंद्र साहू का नाम तय हुआ है। राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीट पर कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। ये क्षेत्र ओबीसी बाहुल्य क्षेत्र है। पूर्व सीएम बघेल भी इसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। राज्य का बड़ा ओबीसी चेहरा भी है। भाजपा ने यहां से सामान्य जाति के उम्मीदवार संतोष पांडेय को मैदान में उतारा है। पांडेय इसी सीट से सांसद हैं। जातिगत समीकरण और भूपेश की लोकप्रियता को भुनाने के लिए कांग्रेस राजनांदगांव से बघेल को उम्मीदवार बना रही है।

जांजगीर लोकसभा इस समय कांग्रेस के लिए सबसे मजबूत सीट है। जांजगीर लोकसभा सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित है। पूर्व मंत्री शिव डहरिया इसी समाज से ही आते हैं। पूर्व मंत्री रहने और अनुभव के आधार पर डहरिया को जांजगीर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया जा सकता है। डहरिया आरंग से विधानसभा चुनाव लड़ते रहे हैं, ये पहली बार होगा, जब उनका क्षेत्र लोकसभा के लिए बदला जा सकता है। भाजपा ने इस बार मौजूदा सांसद गुहाराम अजगले का टिकट काटकर कमलेश जांगड़े को प्रत्याशी बनाया है।

जबकि कोरबा सीट से ज्योत्सना महंत का नाम तय माना जा रहा है। वे यहां से मौजूदा सांसद हैं। ज्योत्सना महंत के पति चरणदास महंत सक्ति विधानसभा क्षेत्र से विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। इस क्षेत्र में महंत परिवार की अच्छी पकड़ है, लेकिन यहां से भाजपा ने सरोज पांडेय को टिकट देकर चौंका दिया है। सरोज पांडेय अब तक दुर्ग से ही चुनाव लड़ती रहीं है। ऐसे में कोरबा लोकसभा क्षेत्र उनके लिए नया है।

चर्चित बस्तर लोकसभा सीट के लिए कोंटा विधायक और पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने अपने बेटे हरीश लखमा को प्रत्याशी बनाने की दावा ठोका है। बस्तर सीट से ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज पिछले चुनाव में जीतकर सांसद बने थे। हालांकि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें चित्रकोट सीट से हार का सामना करना पड़ा। बस्तर में कवासी लखमा का सियासी कद बड़ा है। ऐसे में पार्टी उनकी मांग को भी दरकिनार नहीं कर सकती इसलिए ये फैसला अब केंद्रीय चुनाव समिति ही करेगी कि किसे टिकट दिया जा सकता है।

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