कनाडा में भारतीय छात्रों के वीजा आवेदन और स्वीकृति दर में हाल के महीनों में उल्लेखनीय गिरावट देखी जा रही है। एक समय था जब कनाडा भारतीय युवाओं की पहली पसंद हुआ करता था, लेकिन अब स्थिति बदलती नजर आ रही है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह कमी कनाडाई नीतियों की सख्ती का नतीजा है या इसके पीछे कोई और कारण छिपा है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस साल की दूसरी और तीसरी तिमाही में भारतीय छात्रों के वीजा आवेदन में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि स्वीकृति दर भी पहले की तुलना में काफी कम हुई है। पिछले वर्ष जहां औसतन 60 प्रतिशत वीजा आवेदन स्वीकृत हो रहे थे, वहीं अब यह दर घटकर 40-45 प्रतिशत के बीच आ गई है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। हाल के महीनों में भारत और कनाडा के बीच जारी कूटनीतिक तनाव ने भी छात्रों की योजनाओं को प्रभावित किया है। इसके अलावा, कनाडा सरकार ने विदेशी छात्रों की संख्या पर नियंत्रण के लिए नए नियम लागू किए हैं, जिनके तहत कॉलेजों को अधिक पारदर्शिता और वित्तीय क्षमता साबित करनी होती है। इससे कई निजी शिक्षण संस्थानों के लिए छात्र स्वीकृति प्रक्रिया जटिल हो गई है।
एक और प्रमुख कारण आर्थिक है। कनाडा में जीवन-यापन और आवास की लागत में भारी वृद्धि हुई है, जिससे छात्रों के लिए पढ़ाई और रहने का खर्च उठाना कठिन हो गया है। साथ ही, पोस्ट-स्टडी वर्क परमिट के नियमों में बदलाव और नौकरी के अवसरों की अनिश्चितता ने भी छात्रों के रुझान को प्रभावित किया है।
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अब भारतीय छात्र ऑस्ट्रेलिया, यूके और जर्मनी जैसे विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं, जहां वीजा प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल और रोजगार संभावनाएं स्थिर हैं।
फिलहाल, कनाडा सरकार ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या और उससे जुड़ा शिक्षा क्षेत्र का आर्थिक योगदान दोनों प्रभावित हो सकते हैं।





