चमोली जिले में इन दिनों कड़ाके की ठंड का असर साफ दिखाई देने लगा है। बदरीनाथ धाम, नीति घाटी और औली सहित जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में तापमान लगातार गिर रहा है, जिसके चलते झरने, नदी-नाले और जलस्रोत जमने लगे हैं। हालांकि, बर्फबारी और बारिश न होने के कारण पहाड़ों में सूखे की स्थिति बनी हुई है, लेकिन तेज ठंड और पाले ने जनजीवन को प्रभावित कर दिया है।
नीति घाटी स्थित प्रसिद्ध टिम्मरसैंण महादेव में इन दिनों पर्यटकों और श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी हुई है। बताया जा रहा है कि यहां पानी जमने से प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनने की शुरुआती आकृति दिखाई देने लगी है। आसपास के झरने और नाले भी जमने लगे हैं, जिससे पूरा क्षेत्र एक अद्भुत शीतकालीन दृश्य प्रस्तुत कर रहा है।
बदरीनाथ धाम क्षेत्र में भी ठंड का असर बढ़ता जा रहा है। ऋषिगंगा नदी का पानी लगातार जम रहा है, जिसे कई लोग बर्फ समझ रहे हैं। वहीं, औली में भी पर्यटकों की आमद जारी है। यहां पाले की सफेद चादर खेतों, सड़कों और खुले स्थानों पर बिछ गई है, जिससे लोगों को आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
पाले के कारण औली, नीति घाटी और बदरीनाथ को जोड़ने वाली सड़कों पर फिसलन बढ़ गई है, जिससे वाहन चालकों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ रही है। ठंड से बचाव के लिए स्थानीय लोग अलाव जलाने और गर्म कपड़ों का सहारा ले रहे हैं।
टिम्मरसैंण महादेव के दर्शन के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु और पर्यटक यात्रा मार्ग में जमे झरनों और नालों के साथ तस्वीरें और सेल्फी ले रहे हैं। प्राकृतिक बर्फीले नज़ारे उनकी यात्रा को और भी यादगार बना रहे हैं। कुल मिलाकर, चमोली के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड ने जहां मुश्किलें बढ़ाई हैं, वहीं प्रकृति का अनोखा रूप पर्यटकों को आकर्षित भी कर रहा है।





