नई दिल्ली। केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों को लेकर लागू की गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को अभी तक अपेक्षित समर्थन नहीं मिला है। आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के तहत आने वाले करीब 24 लाख कर्मचारियों में से अब तक केवल 97 हजार कर्मचारियों ने ही यूपीएस का विकल्प चुना है। यानी कुल संख्या का मात्र चार प्रतिशत कर्मचारी ही नई पेंशन व्यवस्था को अपनाने के लिए तैयार हुए हैं।
सरकार ने पिछले महीने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में संशोधन करते हुए यूनिफाइड पेंशन स्कीम की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों को निश्चित और बेहतर पेंशन लाभ देना बताया गया था। इसके तहत कर्मचारी की अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में सुनिश्चित करने का दावा किया गया है।
हालांकि, ज्यादातर कर्मचारी नई योजना को लेकर संशय में हैं। सूत्रों के मुताबिक, अस्पष्ट नियम, भविष्य के भुगतान की गारंटी को लेकर अनिश्चितता, और पूर्व योगदान के समायोजन को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश न होने के कारण कर्मचारी निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। कई कर्मचारी संगठनों ने भी यूपीएस में कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्तियां दर्ज की हैं और इसे पुराने पेंशन सिस्टम (OPS) से कम लाभकारी बताया है।
केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार की ओर से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है ताकि कर्मचारियों को यूपीएस के लाभों के बारे में पूरी जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि अभी शुरुआती चरण है, और उम्मीद है कि आने वाले महीनों में संख्या बढ़ेगी।
उधर, कर्मचारी संगठनों ने मांग की है कि सरकार यूपीएस की शर्तों को और स्पष्ट करे तथा यह सुनिश्चित करे कि सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को पेंशन में कोई अनिश्चितता न रहे।
गौरतलब है कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम को 2024 में पेश किया गया था, ताकि एनपीएस और ओल्ड पेंशन स्कीम के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके। लेकिन शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि कर्मचारियों का भरोसा इस नई व्यवस्था पर अभी पूरी तरह नहीं बन पाया है।