वॉशिंगटन। अमेरिका में एच-1बी वीजा की फीस बढ़ाने के सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ विरोध शुरू हो गया है। अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने संघीय अदालत में मुकदमा दायर कर इस कदम को चुनौती दी है। संगठन का कहना है कि प्रस्तावित शुल्क वृद्धि अमेरिकी कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय पेशेवरों दोनों के लिए गंभीर वित्तीय दबाव पैदा करेगी और अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक असर डाल सकती है।
अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स का कहना है कि एच-1बी वीजा पेशेवरों को अमेरिका लाने का प्रमुख माध्यम है। इन पेशेवरों की सेवाओं पर निर्भर कई कंपनियों के लिए फीस वृद्धि अचानक वित्तीय बोझ बन सकती है। संगठन ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह कदम संवैधानिक अधिकारों और व्यापारिक स्वतंत्रता का उल्लंघन कर सकता है।
सूत्रों के अनुसार, अमेरिका सरकार ने एच-1बी वीजा की सामान्य फीस के अलावा अतिरिक्त शुल्क बढ़ाने की योजना बनाई है। हालांकि अभी तक शुल्क वृद्धि की आधिकारिक राशि घोषित नहीं की गई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे आईटी और तकनीकी कंपनियों पर हजारों डॉलर का अतिरिक्त खर्च आएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में एच-1बी वीजा पर फीस वृद्धि के कारण छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए विदेशी विशेषज्ञों को लाना कठिन हो सकता है। साथ ही, अमेरिका में काम कर रहे विदेशी पेशेवरों को भी वित्तीय और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
आईटी और तकनीकी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों ने भी कहा है कि एच-1बी वीजा पर अतिरिक्त शुल्क से उनकी भर्ती योजनाओं और परियोजनाओं पर असर पड़ेगा। कई कंपनियों ने यह भी चेतावनी दी है कि फीस वृद्धि से अमेरिकी प्रतिभाओं के साथ प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है क्योंकि विदेशी पेशेवरों की संख्या कम हो सकती है।
अमेरिका के कर्मचारी और आव्रजन विभाग ने कहा है कि वीजा फीस में बदलाव का उद्देश्य प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित करना और सरकार की लागत को पूरा करना है। लेकिन चैंबर ऑफ कॉमर्स और कई व्यापारिक समूहों का कहना है कि इससे व्यावसायिक और आर्थिक संतुलन प्रभावित होगा।
विश्लेषकों का मानना है कि यह मुकदमा अमेरिका में एच-1बी वीजा नीति के भविष्य और विदेशी पेशेवरों की भर्ती पर महत्वपूर्ण असर डाल सकता है। अदालत का निर्णय आने तक इस विषय पर गंभीर बहस जारी रहने की संभावना है।
एच-1बी वीजा फीस बढ़ोतरी पर अमेरिका में विरोध शुरू, यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने दायर किया मुकदमा
