एक राष्ट्र, एक चुनाव विषय पर गठित समिति के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि एक साथ चुनाव कराने का विचार संविधान निर्माताओं का था, इसलिए यह असांविधानिक नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि कार्यान्वयन समिति, एक देश एक चुनाव को लागू करने के लिए विभिन्न सांविधानिक संशोधनों पर विचार करेगी और उसके बाद संसद अंतिम निर्णय लेगी। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने दिल्ली में लाल बहादुर शास्त्री की स्मृति में आयोजित व्याख्यान देते हुए कहा कि 1967 तक पहले चार लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे, फिर एक साथ चुनाव कराने को असांविधानिक कैसे कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ वर्गों का कहना है कि एक साथ चुनाव कराने का विचार असांविधानिक है, लेकिन यह सच नहीं है, क्योंकि संविधान निर्माताओं का भी यही विचार था। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग सहित कई संस्थाओं ने अतीत में इस अवधारणा का समर्थन किया है।रामनाथ कोविंद ने कहा कि वास्तव में एक साथ चुनाव कराने से संघवाद को और मजबूती मिलेगी, क्योंकि तीनों स्तर की सरकारें पांच साल तक एक साथ काम करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ एक लोकप्रिय मुहावरा है, जिसकी कुछ लोगों ने गलत व्याख्या की है। यह धारणा बन गई है कि इसके तहत केवल एक ही चुनाव होगा और आगे कोई चुनाव नहीं होगा।उन्होंने बताया कि अवधारणा लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों- नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने की है, ताकि शासन के सभी तीन स्तरों पर एक ही समय में चुनाव हो और पांच साल तक एक साथ काम किया जा सके।
पूर्व राष्ट्रपति ने बताया कि 47 राजनीतिक दलों ने उनके नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय समिति को ज्ञापन दिया है। इसमें 32 ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है। इसके अलावा 15 दल एक साथ चुनाव कराने का विरोध कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अतीत में किसी न किसी बिंदु पर एक साथ चुनाव के विचार का समर्थन किया है।