Monday, December 1, 2025

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उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा की कार्यवाही सुचारू रखने को दलों से सहयोग मांगा, विपक्ष नेता खरगे बैठक से अनुपस्थित

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र से पहले राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने सदन के सुचारू और गरिमामय संचालन के लिए सहयोग की अपील की। उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसदीय परंपराओं की मर्यादा बनाए रखना सभी दलों की सामूहिक जिम्मेदारी है और मतभेदों के बावजूद संवाद की परंपरा को जीवित रखना लोकतंत्र की असली शक्ति है।
सभी दलों से सकारात्मक सहयोग की अपेक्षा
बैठक में सभापति धनखड़ ने कहा कि राज्यसभा को जनता की आकांक्षाओं का प्रतिनिधि सदन कहा जाता है, इसलिए विवाद के बजाय विचार-विमर्श को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “संसद में बहस और विरोध लोकतंत्र के अभिन्न अंग हैं, लेकिन शालीनता और मर्यादा के भीतर रहकर चर्चा ही लोकतंत्र की असली पहचान है।”
उपराष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि आने वाले सत्र में सभी राजनीतिक दल अपने आचरण और भागीदारी से राज्यसभा की गरिमा को और ऊंचा उठाएंगे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महत्वपूर्ण विधेयकों पर ठोस विमर्श हो, ताकि नीतिगत निर्णयों पर आम सहमति बन सके।
विपक्ष के नेता खरगे बैठक से रहे अनुपस्थित
इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे इस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं हो सके। सूत्रों के मुताबिक, खरगे किसी अन्य राजनीतिक कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण बैठक में उपस्थित नहीं थे। हालांकि, कांग्रेस की ओर से राज्यसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक (chief whip) और अन्य वरिष्ठ सदस्य बैठक में मौजूद रहे।
सभापति ने जताई खेद की भावना
खरगे की गैरमौजूदगी पर सभापति धनखड़ ने अप्रत्यक्ष रूप से खेद जताते हुए कहा कि सभी नेताओं की भागीदारी से ही सदन बेहतर ढंग से चल सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों सदन के संचालन में समान रूप से सहयोग करें, तो जनता का विश्वास और मजबूत होगा।
शीतकालीन सत्र को लेकर व्यापक चर्चा
बैठक में आगामी शीतकालीन सत्र के एजेंडे, महत्वपूर्ण विधेयकों, और संभावित बहसों पर भी चर्चा हुई। सभापति ने इस दौरान यह सुझाव दिया कि छोटे दलों और निर्दलीय सांसदों को भी पर्याप्त समय दिया जाए, ताकि सभी आवाजें सदन में सुनी जा सकें।
सभापति का संदेश: संसद बहस का मंच, टकराव का नहीं
धनखड़ ने कहा कि संसद को राजनीतिक टकराव का नहीं, बल्कि रचनात्मक संवाद का मंच बनना चाहिए। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि राज्यसभा की कार्यवाही में बार-बार व्यवधान आने से जनता का विश्वास प्रभावित होता है, इसलिए सभी दलों को संयम और सहयोग की भावना से काम करना चाहिए।
बैठक का समापन इस उम्मीद के साथ हुआ कि आगामी सत्र में राज्यसभा का संचालन बिना व्यवधान और अधिक उत्पादक रहेगा, ताकि जनता के हित से जुड़े विधेयकों पर ठोस निर्णय लिए जा सकें।

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