उन्नाव/लखनऊ: देश के चर्चित उन्नाव दुष्कर्म मामले में एक नया और सनसनीखेज मोड़ आ गया है। मामले की जांच कर रहे अधिकारी (Investigating Officer) की भूमिका अब सवालों के घेरे में है। पीड़ित पक्ष ने जांच अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए मामले को प्रभावित करने और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने की आशंका जताई है। इस संबंध में अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से संबंधित अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने की मांग उठाई गई है।
जांच की निष्पक्षता पर उठे सवाल
पीड़ित पक्ष का आरोप है कि जांच अधिकारी ने शुरुआत से ही आरोपियों को लाभ पहुँचाने की कोशिश की है। आरोप यह भी है कि महत्वपूर्ण गवाहों के बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया और विवेचना के दौरान कई अहम तकनीकी पहलुओं को नजरअंदाज किया गया। पीड़ित परिवार का कहना है कि जब तक जांच अधिकारी के खिलाफ निष्पक्ष जांच नहीं होगी, उन्हें पूर्ण न्याय मिलना संभव नहीं है।
CBI से हस्तक्षेप की गुहार
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पीड़ित पक्ष के वकीलों ने सीबीआई को एक औपचारिक पत्र लिखकर मामले में दखल देने का आग्रह किया है।
- FIR की मांग: पत्र में मांग की गई है कि कर्तव्य में लापरवाही और भ्रष्टाचार की धाराओं के तहत जांच अधिकारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाए।
- दस्तावेजों की सुरक्षा: यह भी अपील की गई है कि वर्तमान जांच से जुड़े सभी केस डायरी और महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सीबीआई अपनी कस्टडी में ले ताकि उनके साथ कोई और छेड़छाड़ न हो सके।
राजनीतिक गलियारों में हलचल
इस नए ट्विस्ट के बाद प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि रसूखदार आरोपियों को बचाने के लिए सिस्टम का दुरुपयोग किया जा रहा है। वहीं, स्थानीय पुलिस प्रशासन का कहना है कि वे इस मामले में कानूनी सलाह ले रहे हैं और जांच पूरी तरह पारदर्शी है।
पीड़ित पक्ष के वकील का बयान: “हम न्याय के लिए आखिरी दम तक लड़ेंगे। यदि जांच अधिकारी ही आरोपियों का साथ देने लगे, तो पीड़ित कहाँ जाएगा? हमने साक्ष्यों के साथ सीबीआई से गुहार लगाई है और हमें उम्मीद है कि न्याय की जीत होगी।”





