व्यावसायिक शिक्षा महंगी होने और घर के पास उपलब्ध न होने के चलते बेटियां बेटों के मुताबिक इसमें पिछड़ रही हैं। इसकी तस्दीक सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों के आंकड़े कर रहे हैं। दरअसल राज्य विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों में करीब 66% छात्राएं हैं, जबकि महज 34% छात्र हैं। अमर उजाला ने जब छात्र–छात्राओं में इतने बड़े अंतर की पड़ताल की तो कुछ आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए। हैरानी की बात यह है कि राज्य के अधिकतर छात्र निजी संस्थानों से व्यावसायिक कोर्स कर रहे हैं, जबकि छात्राएं व्यावसायिक कोर्स महंगे होने और निजी संस्थान घर के पास न होने के कारण सरकारी संस्थानों में सामान्य डिग्रियां ले रही हैं। वहीं शिक्षाविदों का यह साफ कहना है कि अगर सरकारी संस्थानों में भी व्यावसायिक कोर्स हों तो यह तस्वीर आसानी से बदल सकती है। छात्राओं की तुलना में छात्र व्यावसायिक पढ़ाई के लिए आसानी से राज्य से बाहर या अपने शहर से बाहर जा रहे हैं, जबकि पहाड़ में निजी कॉलेज दूर होने और व्यावसायिक शिक्षा महंगी होने के कारण अधिकतर लड़कियों को घरों के पास सरकारी कॉलेजों में ही पढ़ाया जा रहा है।





