उत्तराखंड में अब धरती के गरम पानी से बिजली बनाने की राह आसान हो गई है। आइसलैंड के वैज्ञानिकों के सफल अध्ययन के बाद राज्य सरकार ने भू-तापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) को उद्योग का दर्जा देते हुए ‘उत्तराखंड भू-तापीय ऊर्जा नीति 2025’ को कैबिनेट में मंजूरी दे दी है। इसके तहत राज्य में 40 संभावित स्थलों की पहचान की गई है, जिनमें चमोली जिले के बदरीनाथ और तपोवन प्रमुख हैं।
क्या है भू-तापीय ऊर्जा नीति?
- भू-तापीय ऊर्जा परियोजनाएं 30 साल के लिए आवंटित की जाएंगी।
- परियोजनाएं नामांकन के आधार पर ओएनजीसी जैसे केंद्रीय उपक्रमों, यूजेवीएनएल जैसे राज्य उपक्रमों, और निजी निवेशकों को निविदा प्रक्रिया से दी जाएंगी।
- यदि केंद्र से वित्तीय सहायता नहीं मिलती, तो राज्य सरकार शुरुआती दो परियोजनाओं को आर्थिक सहायता देगी।
- भू-तापीय ऊर्जा से उत्पादित बिजली पर कोई निशुल्क रॉयल्टी नहीं ली जाएगी।
- निवेशकों को सभी अनुमतियाँ एकल खिड़की प्रणाली (Single Window Clearance) के तहत दी जाएंगी।
- यह नीति ऊर्जा उत्पादन के अलावा ग्रीन हाउस हीटिंग, कृषि उत्पादों को सुखाने, कोल्ड स्टोरेज और भू-तापीय पर्यटन को भी बढ़ावा देगी।
क्या मिलेगा राज्य को?
- परियोजना स्थलों की पहचान करने पर विकासकर्ता को तीन करोड़ रुपये तक की 50% सहायता दी जाएगी।
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड करेगा परियोजना श्रेणी निर्धारण और मंजूरी।
- नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में यह नीति उत्तराखंड को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की क्षमता रखती है।
भारी बारिश से आफत: येलो अलर्ट जारी, आज स्कूल बंद
उत्तराखंड के कई पर्वतीय जिलों में भारी बारिश की चेतावनी के चलते प्रशासन ने एहतियातन कदम उठाए हैं।
- देहरादून, रुद्रप्रयाग, नैनीताल और बागेश्वर में येलो अलर्ट जारी।
- देहरादून में कक्षा 1 से 12 तक के सभी स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र 10 जुलाई को बंद रहेंगे।
राज्य में 87 सड़कें मलबे से बाधित
बारिश के कारण हुए भूस्खलन और मलबे के चलते प्रदेशभर में 87 सड़कें बंद हो गई हैं।
जिलावार स्थिति:
- चमोली: 17
- पिथौरागढ़: 15
- उत्तरकाशी: 12 (1 राजमार्ग सहित)
- टिहरी: 8
- नैनीताल: 7
- पौड़ी: 6
- देहरादून: 5
- रुद्रप्रयाग: 4
- चंपावत: 3
- बागेश्वर: 9
- अल्मोड़ा: 1
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने सभी जिलों में सड़कों को जल्द से जल्द खोलने के निर्देश जारी किए हैं।
जहां एक ओर उत्तराखंड भू-तापीय ऊर्जा में निवेश कर ऊर्जा क्षेत्र में नई क्रांति लाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक आपदाएं और बारिश अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। सरकार को अब विकास और आपदा प्रबंधन – दोनों मोर्चों पर समान रूप से सजग रहना होगा।