प्रदेश में पहली बार व्यापक कौशल जनगणना आयोजित की जाएगी, जिससे युवाओं की योग्यता, प्रशिक्षण आवश्यकताओं और रोजगार की संभावनाओं को वैज्ञानिक आधार पर समझा जा सके। राज्य सरकार की ओर से गठित विशेष समिति ने इसके लिए औपचारिक तैयारियां शुरू कर दी हैं। उम्मीद है कि इस सर्वे के माध्यम से रोजगार नीतियों को जमीन पर उतारना और उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप कुशल मानव संसाधन उपलब्ध कराना आसान होगा।
कौशल विकास विभाग के अनुसार, प्रदेश के हर जिले, ब्लॉक और गांव तक यह सर्वे पहुंचेगा। जानकारी एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर संकलित की जाएगी ताकि डेटा विश्लेषण में तेजी आए और भविष्य में किसी भी रोजगार योजना के वास्तविक लाभार्थियों की पहचान तुरंत संभव हो सके।
अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में कई क्षेत्रों में उद्योगों को प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी का सामना करना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में युवा रोजगार के अवसर न मिल पाने से परेशान रहते हैं। कौशल जनगणना इस अंतर को पाटने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। इससे प्रदेश के कौशल मानचित्र का निर्माण होगा, जिसके आधार पर क्षेत्रवार प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे।
समिति ने योजना के तहत शिक्षण संस्थानों, तकनीकी प्रशिक्षण केंद्रों, औद्योगिक संगठनों और स्थानीय निकायों को भी जोड़ा है। युवाओं के मौजूदा कौशल, उनकी रुचि, शिक्षा स्तर और अनुभव जैसी जानकारियों को शामिल किया जाएगा। सर्वे पूरा होने के बाद राज्य में रोजगार आधारित परियोजनाओं को बढ़ावा देने के साथ ही नई निवेश पहलों के लिए भी नीति तैयार की जाएगी।
सरकार का मानना है कि यह जनगणना भविष्य में रोजगार को मांग आधारित बनाते हुए प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सशक्त करने में अहम भूमिका निभाएगी। साथ ही इससे युवाओं को अपने कौशल के अनुरूप अवसर प्राप्त करने में मदद मिलेगी और पलायन पर भी रोक लगाने में सहायता मिलेगी।





