देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में सुशासन और पारदर्शिता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य के राजस्व विभाग द्वारा आगामी एक जनवरी से नया और अत्याधुनिक भूलेख पोर्टल लॉन्च किया जा रहा है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य भूमि संबंधी रिकॉर्ड को पूरी तरह डिजिटल बनाना और आम जनता को तहसील के चक्कर काटने से मुक्ति दिलाना है।
पोर्टल की प्रमुख विशेषताएँ और लाभ
- घर बैठे मिलेंगी सुविधाएँ: नए पोर्टल के शुरू होने से प्रदेशवासी अपनी जमीन की खतौनी, नक्शा और अन्य राजस्व अभिलेख एक क्लिक पर देख सकेंगे। अब लोगों को छोटे-छोटे कार्यों के लिए पटवारी या तहसील कार्यालयों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
- भ्रष्टाचार पर लगाम: पूरी प्रक्रिया के डिजिटल होने से भू-अभिलेखों में होने वाली हेराफेरी और मानवीय हस्तक्षेप की संभावना न्यूनतम हो जाएगी। इससे जमीन की खरीद-फरोख्त में पारदर्शिता आएगी।
- त्वरित म्यूटेशन प्रक्रिया: पोर्टल के माध्यम से दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) की प्रक्रिया को भी तेज किया जाएगा। आवेदन की स्थिति को ऑनलाइन ट्रैक करने की सुविधा भी इसमें शामिल की गई है।
- नक्शों का डिजिटलीकरण: सरकार ने जमीन के नक्शों को जीआईएस (GIS) मैपिंग के साथ जोड़ने की योजना बनाई है, जिससे भूमि विवादों के निपटारे में आसानी होगी।
मुख्यमंत्री का विजन: ‘डिजिटल देवभूमि’
मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, यह कदम प्रधानमंत्री के ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान को गति देने के लिए उठाया गया है। सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश का प्रत्येक नागरिक सरकारी सेवाओं का लाभ अपने मोबाइल फोन के माध्यम से ले सके। राजस्व सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि एक जनवरी से पहले सभी डाटा की फीडिंग और टेस्टिंग का कार्य पूर्ण कर लिया जाए।
जनहित में बड़ा बदलाव
विशेषज्ञों का मानना है कि इस पोर्टल के आने से विशेष रूप से प्रवासी उत्तराखंडियों को बड़ी राहत मिलेगी, जो राज्य से बाहर रहकर अपनी पैतृक संपत्ति की निगरानी नहीं कर पाते थे। अब वे दुनिया के किसी भी कोने से अपनी जमीन का विवरण देख सकेंगे और सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे।
महत्वपूर्ण सूचना: पुराने भूलेख सिस्टम को नए पोर्टल में माइग्रेट किया जा रहा है, इसलिए विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे पोर्टल लॉन्च होने के बाद अपने रिकॉर्ड्स का मिलान अवश्य कर लें।





